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गीत :- सावन की है घटा निराली , बूँद-बूँद लाये हरिय

गीत :-
सावन की है घटा निराली , बूँद-बूँद लाये हरियाली ।
पत्थर में भी बीज उगाए , फूल खिलाए डाली-डाली ।।
सावन की है घटा निराली ....

देख-देख अब मन मुस्काए , मन की बात रखी क्यों जाए ।
आओ सबको बात बताएँ , हर सावन सब पौध लगाए ।।
जिससे पाये मन खुशहाली ,  जग में फिर छाये हरियाली ।
सावन की है घटा निराली ...

घर पक्के बिल्कुल बनवा लो ,लेकिन कुछ मिट्टी रखवा लो ।
बड़े नही तो कुछ छोटे ही , उनमें तुम पौधे उगवा लो ।।
फिर उन्हें बुलाओ अपने घर ,दौड़ रहे जो आज मनाली ।
सावन की है घटा निराली ....

खाली समय न व्यर्थ गवाएँ , आओ कुछ हम पेड़ लगाए ।
पास भूमि कहीं जब न अपनी, तो गलियों के साथ लगाएँ ।।
स्वच्छ हवा औ छाया में हम , चाल चलें देखो मतवाली ।
सावन की है घटा निराली .....

सावन की है घटा निराली , बूँद-बूँद लाये हरियाली ।
पत्थर में भी बीज उगाए , फूल खिलाए डाली-डाली ।।

११/०७/२०२३    -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :-
सावन की है घटा निराली , बूँद-बूँद लाये हरियाली ।
पत्थर में भी बीज उगाए , फूल खिलाए डाली-डाली ।।
सावन की है घटा निराली ....

देख-देख अब मन मुस्काए , मन की बात रखी क्यों जाए ।
आओ सबको बात बताएँ , हर सावन सब पौध लगाए ।।
जिससे पाये मन खुशहाली ,  जग में फिर छाये हरियाली ।
गीत :-
सावन की है घटा निराली , बूँद-बूँद लाये हरियाली ।
पत्थर में भी बीज उगाए , फूल खिलाए डाली-डाली ।।
सावन की है घटा निराली ....

देख-देख अब मन मुस्काए , मन की बात रखी क्यों जाए ।
आओ सबको बात बताएँ , हर सावन सब पौध लगाए ।।
जिससे पाये मन खुशहाली ,  जग में फिर छाये हरियाली ।
सावन की है घटा निराली ...

घर पक्के बिल्कुल बनवा लो ,लेकिन कुछ मिट्टी रखवा लो ।
बड़े नही तो कुछ छोटे ही , उनमें तुम पौधे उगवा लो ।।
फिर उन्हें बुलाओ अपने घर ,दौड़ रहे जो आज मनाली ।
सावन की है घटा निराली ....

खाली समय न व्यर्थ गवाएँ , आओ कुछ हम पेड़ लगाए ।
पास भूमि कहीं जब न अपनी, तो गलियों के साथ लगाएँ ।।
स्वच्छ हवा औ छाया में हम , चाल चलें देखो मतवाली ।
सावन की है घटा निराली .....

सावन की है घटा निराली , बूँद-बूँद लाये हरियाली ।
पत्थर में भी बीज उगाए , फूल खिलाए डाली-डाली ।।

११/०७/२०२३    -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :-
सावन की है घटा निराली , बूँद-बूँद लाये हरियाली ।
पत्थर में भी बीज उगाए , फूल खिलाए डाली-डाली ।।
सावन की है घटा निराली ....

देख-देख अब मन मुस्काए , मन की बात रखी क्यों जाए ।
आओ सबको बात बताएँ , हर सावन सब पौध लगाए ।।
जिससे पाये मन खुशहाली ,  जग में फिर छाये हरियाली ।

गीत :- सावन की है घटा निराली , बूँद-बूँद लाये हरियाली । पत्थर में भी बीज उगाए , फूल खिलाए डाली-डाली ।। सावन की है घटा निराली .... देख-देख अब मन मुस्काए , मन की बात रखी क्यों जाए । आओ सबको बात बताएँ , हर सावन सब पौध लगाए ।। जिससे पाये मन खुशहाली , जग में फिर छाये हरियाली । #कविता