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अंधेरों की बस्ती मे रौशनी का पता खोजती हुँ, मैं खु

अंधेरों की बस्ती मे रौशनी का पता खोजती हुँ,
मैं खुश रहने की बस एक बजह खोजती हुँ,
न तुझसे न तुझ जैसे से, मैं रंजिश रखती हुँ,
फुर्सत कहाँ खुदसे, मैं खुदपे ही फ़िदा जो रहती हुँ,
अंधेरों की बस्ती मे रौशनी का पता खोजती हुँ,
मैं खुश रहने की बस एक बजह खोजती हुँ,
न तुझसे न तुझ जैसे से, मैं रंजिश रखती हुँ,
फुर्सत कहाँ खुदसे, मैं खुदपे ही फ़िदा जो रहती हुँ,
kavyavarsha0295

KavyaVarsha

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