रोज़ रोज़ मिटते है, फिर भी ख़ाक न हुए रोज रोज मिटते है फिर भी हम ख़ाक न हुए। ऐ मौत मरते मरते भी तेरे हम ख़ास न हुए।। तू रचती रही चक्रव्यूह मेरे हर कदम कदम पर। मग़र जलकर तेरे चक्रव्यूह में भी हम राख न हुए।। #rojroj