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दोहा :- राम-राम जपते रहो , मिलें सदा आराम । राम ना

दोहा :-
राम-राम जपते रहो , मिलें सदा आराम ।
राम नाम के भक्त तो , करे नहीं विश्राम ।।१

कैसे कह दूँ मैं यहाँ , अलग-अलग है वंश ।
हमको सब में हैं मिलें , यहाँ राम के अंश ।।२

रघुवर ही घनश्याम है , कर ले अब पहचान ।
तुझमें भी तो हैं वही , क्या कहता इंसान ।।३

बाल काल्य पग चिन्ह तो , मिले अयोध्या धाम ।
तू छूकर अब स्पर्श कर , चरण वही श्री राम ।।४

आज अयोध्या के नगर , का दुल्हन सा रूप ।
जिसके राजा राम जी , कहलाते है भूप ।।५

राम लला के नाम से , सजा अयोध्या धाम ।
जहाँ वनों के वृक्ष भी , सुनो उकेरे राम ।।६

सूरत खुशियों की कभी , बड़ी नहीं है देख ।
छोटी खुशियाँ दे बदल , सुन किस्मत की रेख ।।७

२८/१२/२०२३    -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :-


राम-राम जपते रहो , मिलें सदा आराम ।

राम नाम के भक्त तो , करे नहीं विश्राम ।।१
दोहा :-
राम-राम जपते रहो , मिलें सदा आराम ।
राम नाम के भक्त तो , करे नहीं विश्राम ।।१

कैसे कह दूँ मैं यहाँ , अलग-अलग है वंश ।
हमको सब में हैं मिलें , यहाँ राम के अंश ।।२

रघुवर ही घनश्याम है , कर ले अब पहचान ।
तुझमें भी तो हैं वही , क्या कहता इंसान ।।३

बाल काल्य पग चिन्ह तो , मिले अयोध्या धाम ।
तू छूकर अब स्पर्श कर , चरण वही श्री राम ।।४

आज अयोध्या के नगर , का दुल्हन सा रूप ।
जिसके राजा राम जी , कहलाते है भूप ।।५

राम लला के नाम से , सजा अयोध्या धाम ।
जहाँ वनों के वृक्ष भी , सुनो उकेरे राम ।।६

सूरत खुशियों की कभी , बड़ी नहीं है देख ।
छोटी खुशियाँ दे बदल , सुन किस्मत की रेख ।।७

२८/१२/२०२३    -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :-


राम-राम जपते रहो , मिलें सदा आराम ।

राम नाम के भक्त तो , करे नहीं विश्राम ।।१

दोहा :- राम-राम जपते रहो , मिलें सदा आराम । राम नाम के भक्त तो , करे नहीं विश्राम ।।१ #कविता