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प्रेम करना समंदर से सीखो जाती हुई लहरों से कहता ह

प्रेम करना
समंदर से सीखो

जाती हुई लहरों से कहता है,
जाओ, खुश रहो

लौटती हुई से कहता है,
आओ, तुम्हारा स्वागत है

प्रेम में
संयोग वियोग कुछ नहीं होता
सिर्फ स्वीकार होता है

©Rabindra Prasad Sinha
  #अ आ