अकाल ही अकाल हैं काल को बनाने वाला काल से निहित है कमाल ही कमाल है हर किसी का स्वाभिमान चित् में विराजमान मन की आवाज है कारण का कर्ता,अकारण में बसता मेघराज बन कण-कण में बरसता गरीब की आवाज है राजन का ताज है और दुष्टों का काल है अकाल ही अकाल हैं ,अकाल ही अकाल हैं ©Adv..A.S Koura #ArabianNight #अकाल