त्रिवेणी ममता, समता संस्कारों के, त्रिगुण समाहित हो जिसमें, मातृशक्ति है वही "त्रिवेणी", जीवन की बहती धारा में।। बाधा संग बहती धारा में, पृष्ठशक्ति हम हरपल पाते, इसी "त्रिवणी"की लहरों से, अग्रसर होती जीवन की रहें।। चिंता बन मन का संत्रास, जब नींद चुरा ले जाता, स्मरण"त्रिवेणी"का पल भर, ढांढस जीवन में भर देता।। इसी "त्रिवेणी" से होती है, ममता-करुणा की बौछार, समता-समरसता से होती, अंतर्मन की पीड़ा पार।। इसी "त्रिवेणी"से हम पाते, तह में छुपा खजाना, प्यार के हीरे -मोती और, आशीष का चांदी सोना।। "तीर्थ त्रिवेणी"पर हम , जीवन भर शीश झुकाएं ममता से भीग मन, भक्ति से पुलकित जीवन पाएं।। 12-5-19 --*रामदास शब्दांकन@समर्थ RD मातृशक्ति को प्रणाम।