सारिका छंद :- २६ वर्ण ६,६,६,८पर यति । मन का विलाप , बन गया ताप , व्रण युक्त शाप,हिय मनुज विवश । घुंघरू की ताल , करता मलाल , छुपता न हाल , शुभ दिखत दिवस ।। मोहित मिलाप , कदमों की चाप , जब पासआप,प्रमुदित तन मन । मत बैर करो ,कुछ ईश डरो । पग शीश धरो , मगन रहत मन ।। ०३/०८/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सारिका छंद :- २६ वर्ण ६,६,६,८पर यति । मन का विलाप , बन गया ताप , व्रण युक्त शाप,हिय मनुज विवश । घुंघरू की ताल , करता मलाल , छुपता न हाल , शुभ दिखत दिवस ।।