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जज़्बात-ए-दिल की बातें दिल ने जज़्बात को हैरानी

जज़्बात-ए-दिल की बातें


दिल ने जज़्बात को हैरानी से बोला - सुनों..!

जज़्बात तुरंत बोला - हां यार बोल !

दिल ने कहा - अपने घर का पता तो है।

जज़्बात सोचते हुए बोला - हां वो तो है..

दिल ने इत्मीनान से कहा - जब हम मेहमान को भगवान का दर्जा देते है, तो समझ लो हमारा पड़ोसी घर के सदस्य जैसा है।

जज़्बात जोश में बोला - एकदम सही.. १०० % सही।

मायूस दिल बोला - फ़िर क्यों ? कई महीने बीत गए, इस बीच क्या हमने पड़ोसी का पता कभी पूछा है ?

जज़्बात ने कहा - सही बात है यार बहुत दिन हो गए, वैसे पड़ोसी तो हमारा दूसरा घर होता है ।

दिल ने आंखें दिखाते बोला - तो फ़िर सोच क्या रहे हो..चलो उठो

जज़्बात ख़ुशी में बोला - समझ गया, चलो.. आज हम अपने पड़ोसी मतलब दूसरे घर चलते है, चाय पीते है और उस घर के सदस्यों को, रात्रि भोज का निमंत्रण भी दे आते है।

दिल ने दिल से बोला - वाह..! ये हुई ना बात…

©अदनासा-
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