गुजरे हुए पल ने उलझाया है कुछ ऐसे टूट के बिखरी हैं हाथ आई चंद घड़ियाँ। कदमों की आहटें सुनती भी भला कैसे इक शोर सा बरपा था दिन रात मेरे अन्दर प्रीति. #ऊलझन# शोर #जिन्दगी #Challenge निहारिका सिंह