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मुलाक़ात एक एहसास था , या फिर कोई मेरे पास था, व

मुलाक़ात एक एहसास था , या फिर कोई  मेरे पास था, 
वो मुझसे बात कर रहे थे, और मैं बस खामोश था,  
वो मेरी खामोशी को सुन रही थी,  और मैं उसके हर लफ्ज़ में आपने आपको ढूंढ रहा था, 
शायद वो दोस्ती का परवाज़ था, या मोहब्बत का आगाज़ था, 
वो अपनी बातों से फिज़ाओं को सजा रही थी,  
मैं उसकी हंसी को अपनी आंखों मे सजा रहा था,  
उसकी साँसो से ख़ुशबू आ रही थी,  मैं उस खुशबू से फूल बना रहा था,  
वो मुलाक़ात एक मीठा सा एहसास था, 
वह मेरे पास थी, मैं उसके पास था। 
गुलफाम अहमद सिद्दीकी

©G.A.siddiqui #nojotohindi #nojoto #nojoto #mulakat #Ka #Alfaaz_E_SiddiQui
मुलाक़ात एक एहसास था , या फिर कोई  मेरे पास था, 
वो मुझसे बात कर रहे थे, और मैं बस खामोश था,  
वो मेरी खामोशी को सुन रही थी,  और मैं उसके हर लफ्ज़ में आपने आपको ढूंढ रहा था, 
शायद वो दोस्ती का परवाज़ था, या मोहब्बत का आगाज़ था, 
वो अपनी बातों से फिज़ाओं को सजा रही थी,  
मैं उसकी हंसी को अपनी आंखों मे सजा रहा था,  
उसकी साँसो से ख़ुशबू आ रही थी,  मैं उस खुशबू से फूल बना रहा था,  
वो मुलाक़ात एक मीठा सा एहसास था, 
वह मेरे पास थी, मैं उसके पास था। 
गुलफाम अहमद सिद्दीकी

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