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लगा एकाध फोटो इंदौर में रहते हुए और खींच लूँ। दिन

लगा एकाध फोटो इंदौर में रहते हुए और खींच लूँ। दिन बदल रहे हैं, मौसम बदल रहा है, दुनिया बदल रही है, संभव है हमारा  रहवास भी बदल जाए! पर इन सब बदलावों के बावजूद इंदौर के लिए दिल में बनी जगह नहीं बदलेगी। युग बदलेगा, हम बदलेंगे, लेकिन इंदौर हमारा दूसरा होमटाउन बना रहेगा। आज धनतेरस है, परसों दिवाली होगी, घर में नहीं हूँ लेकिन फिर भी लग रहा है घर में ही हूँ। चारों तरफ सुनाई देती पटाखों की आवाज मे एक अलग ही जादू है। दुकानों की रौनक, बिल्डिंगों में झिलमिलाते झालर, इंदौरी 'भिया' के चेहरे पर दिखती खुशी, ये सब घर की यादों को मिटा नही सकते, पर कम जरूर कर रहे हैं। जैसे-जैसे इंदौर से दूर जाने का समय नजदीक आता जा रहा है मन की दशा कुछ अजीब सी रहने लग गई है। कुछ तो रिश्ता है इस शहर से ? रिश्ता ना भी हो तब भी जुड़ाव तो है ही। आखिर चार साल बिताए हैं यहां। कहां बिसरेंगे यहां के पोहे-जलेबी और होलकैरियन!

©क्षितिज़ समवर्ती # इंदौर
लगा एकाध फोटो इंदौर में रहते हुए और खींच लूँ। दिन बदल रहे हैं, मौसम बदल रहा है, दुनिया बदल रही है, संभव है हमारा  रहवास भी बदल जाए! पर इन सब बदलावों के बावजूद इंदौर के लिए दिल में बनी जगह नहीं बदलेगी। युग बदलेगा, हम बदलेंगे, लेकिन इंदौर हमारा दूसरा होमटाउन बना रहेगा। आज धनतेरस है, परसों दिवाली होगी, घर में नहीं हूँ लेकिन फिर भी लग रहा है घर में ही हूँ। चारों तरफ सुनाई देती पटाखों की आवाज मे एक अलग ही जादू है। दुकानों की रौनक, बिल्डिंगों में झिलमिलाते झालर, इंदौरी 'भिया' के चेहरे पर दिखती खुशी, ये सब घर की यादों को मिटा नही सकते, पर कम जरूर कर रहे हैं। जैसे-जैसे इंदौर से दूर जाने का समय नजदीक आता जा रहा है मन की दशा कुछ अजीब सी रहने लग गई है। कुछ तो रिश्ता है इस शहर से ? रिश्ता ना भी हो तब भी जुड़ाव तो है ही। आखिर चार साल बिताए हैं यहां। कहां बिसरेंगे यहां के पोहे-जलेबी और होलकैरियन!

©क्षितिज़ समवर्ती # इंदौर