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उसकी सरकार थी, इसकी सरकार थी, अगर दोनों ने तुम्हें

उसकी सरकार थी,
इसकी सरकार थी,
अगर दोनों ने तुम्हें -
दरकिनार किया है,
तो तुम्हारे मत की दरकार क्या थी ?

दोनों से, मिलेजूलों से-
गरीबी मिटी नही, 
महंगाई घटी नही, 
दौलत बंटी नही, 
दुष्टता हटी नही, 
नीचता डटी नही, 
एकता सटी नही, 
उद्दंडता कटी नही,
अगर दोनों ने तुम्हें-
किनारे लगा ठगा है,
तो तुम्हारे मत की दरकार क्या थी?

सरकारें तो आयेगी-जायेगी,
स्वार्थपरायण, भिक्षावृति,
चाटूकारी, विरक्ति से निकलो।
तुम्हारी मनोवृति बदलो-
देश, देव, शांति, शिक्षा;
क्रमागत उन्नति में ढलो।
नहीं तो निस्संदेह; 
तुम्हारे मत की दरकार नही है। 

डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' 🇮🇳

©Anand Dadhich #Politics #IndianVoters #kaviananddadhich #poetananddadhich #poetsofindia
उसकी सरकार थी,
इसकी सरकार थी,
अगर दोनों ने तुम्हें -
दरकिनार किया है,
तो तुम्हारे मत की दरकार क्या थी ?

दोनों से, मिलेजूलों से-
गरीबी मिटी नही, 
महंगाई घटी नही, 
दौलत बंटी नही, 
दुष्टता हटी नही, 
नीचता डटी नही, 
एकता सटी नही, 
उद्दंडता कटी नही,
अगर दोनों ने तुम्हें-
किनारे लगा ठगा है,
तो तुम्हारे मत की दरकार क्या थी?

सरकारें तो आयेगी-जायेगी,
स्वार्थपरायण, भिक्षावृति,
चाटूकारी, विरक्ति से निकलो।
तुम्हारी मनोवृति बदलो-
देश, देव, शांति, शिक्षा;
क्रमागत उन्नति में ढलो।
नहीं तो निस्संदेह; 
तुम्हारे मत की दरकार नही है। 

डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' 🇮🇳

©Anand Dadhich #Politics #IndianVoters #kaviananddadhich #poetananddadhich #poetsofindia