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जब हर दर्द हद से गुजर जाए हर गम को सहकर कोई जिंदा

जब हर दर्द हद से गुजर जाए
हर गम को सहकर कोई जिंदा बच जाए
तब जाकर एक मुकम्मल शायर का जन्म होता है
दर्द और गम को लफ़्ज़ों में बयान करना कहां सबका नसीब होता है
           *दीवानी शायरा*

जब हर दर्द हद से गुजर जाए हर गम को सहकर कोई जिंदा बच जाए तब जाकर एक मुकम्मल शायर का जन्म होता है दर्द और गम को लफ़्ज़ों में बयान करना कहां सबका नसीब होता है *दीवानी शायरा* #शायरी

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