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इस कहानी का भी हिस्सा मैं बन गया हैरान परेशान मेरी

इस कहानी का भी हिस्सा मैं बन गया
हैरान परेशान मेरी निगाहें बस केवल
निहारती रही और पड़ कर किसी
गहरी सोच में और बेबसी के आलम में
चुपचाप किसी अंधेरे में डूब गई
उस अंधेरे की भी एक बात थी
न जाने कैसे सिर्फ मैं ही देख पाया
उस काले लिबास में जैसे 
और एक दर्द भरी आवाज में 
कोई  शख्स किसी ख्वाब से  बाहर आया
देखा उसने मुझे तब सिलसिला एक शुरु हुआ
धीरे धीरे अंधेरे से नकाब उसका दूर हुआ
पूछा जब उसने मुझसे वक्त जैसे थम सा गया 
शीशे में जब देखा  उसको  रक्त मेरा जम सा गया
सवालों के कटघरे में खड़ा मैं देखता रहा
उस शख्स के तल्ख बातों को मैं सुनता रहा
अंधेरे की बुलंदियों ने भी अब ऐसा जोर पकड़ा
देखते देखते न जाने कब मैं रो पड़ा
थक सा गया था मैं अब 
मगर सब कुछ अभी रुका नहीं था
उन बातों का और उन कहानियों का
सिलसिला अभी थमा नहीं था
बेसहारा होकर मैं अब गिर चुका था
उस अंजान शख्स के सामने 
जैसे मैं अब कुछ भी ना था
उसके तल्ख सवाल अब शूल बन चुके थे
और मैं हार चुका था उसके सामने 
एक खुंखार हंसी के साथ जैसे
मैं उसका मजाक बन गया
अब वक्त के साथ बन गया
वो मेरी जिंदगी का हिस्सा
उस अंजान शख्स को  आज मैं अपनेआप  में  देखता हूं
मेरे अंदर समाया हुआ वो मेरा  ही गुरूर था
खामोशी संग लिये यही सोचता हूं कि सब मेरा ही कुसूर था

-गौरव सोनी ( शब्दों की दुनिया)

©Gaurav Soni #darkness #Poetry #Shabdon_ki_duniya
इस कहानी का भी हिस्सा मैं बन गया
हैरान परेशान मेरी निगाहें बस केवल
निहारती रही और पड़ कर किसी
गहरी सोच में और बेबसी के आलम में
चुपचाप किसी अंधेरे में डूब गई
उस अंधेरे की भी एक बात थी
न जाने कैसे सिर्फ मैं ही देख पाया
उस काले लिबास में जैसे 
और एक दर्द भरी आवाज में 
कोई  शख्स किसी ख्वाब से  बाहर आया
देखा उसने मुझे तब सिलसिला एक शुरु हुआ
धीरे धीरे अंधेरे से नकाब उसका दूर हुआ
पूछा जब उसने मुझसे वक्त जैसे थम सा गया 
शीशे में जब देखा  उसको  रक्त मेरा जम सा गया
सवालों के कटघरे में खड़ा मैं देखता रहा
उस शख्स के तल्ख बातों को मैं सुनता रहा
अंधेरे की बुलंदियों ने भी अब ऐसा जोर पकड़ा
देखते देखते न जाने कब मैं रो पड़ा
थक सा गया था मैं अब 
मगर सब कुछ अभी रुका नहीं था
उन बातों का और उन कहानियों का
सिलसिला अभी थमा नहीं था
बेसहारा होकर मैं अब गिर चुका था
उस अंजान शख्स के सामने 
जैसे मैं अब कुछ भी ना था
उसके तल्ख सवाल अब शूल बन चुके थे
और मैं हार चुका था उसके सामने 
एक खुंखार हंसी के साथ जैसे
मैं उसका मजाक बन गया
अब वक्त के साथ बन गया
वो मेरी जिंदगी का हिस्सा
उस अंजान शख्स को  आज मैं अपनेआप  में  देखता हूं
मेरे अंदर समाया हुआ वो मेरा  ही गुरूर था
खामोशी संग लिये यही सोचता हूं कि सब मेरा ही कुसूर था

-गौरव सोनी ( शब्दों की दुनिया)

©Gaurav Soni #darkness #Poetry #Shabdon_ki_duniya
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