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7 साल पहले जिस हादसे ने आज की तारीख के लिए एक काल

7 साल पहले जिस हादसे ने आज की तारीख के लिए एक 
काला इतिहास लिख दिया था, आज उसी तारीख के वापस
 आने से फिर से वो ज़ख्म उभर आए हैं |

माँ भारती के 40 वीर सपूतों ने अपने प्राणों की आहुति दे कर
 हम सभी की सुरक्षा को बरक़रार बनाए रखा | आज की रचना
 हमारे सभी शहीदों के चरणों में अर्पित है :-

""""आँखों की दो बूँदों के आगे...सातों समंदर हारे है...
मेहंदी वाले हाथो ने जब...मंगलसूत्र उतारे हैं...
सावन अब बीतेंगे सूने...फिर भी दिल मे ग़म नहीं...
और मोका मिले तो जरूर करना...
दर्शन शहीदों के किसी तीर्थ से कम नहीं...

उस पागल मतवाले ने...फ़र्ज़ अपने अदा किए...
देखना उन हाथों की झुर्रियाँ भी...
जिन्होंने अपने लाल विदा किए...
टूटा है अंदर से दिल...आँखे फिर भी नम नहीं...
मौका मिले तो ज़रूर करना...दर्शन शहीदों के किसी तीर्थ से कम नहीं...

होली के बसंती रंग हो या...दियों की कतारों मे...
दो पल उनको दे कर आना...खुशियो के त्योहारों मे...
रीत रिवाज़ की बेड़ियां है अब बस...त्योहारों मे उमंग नहीं...
मोका मिले तो जरूर करना...दर्शन शहीदों के किसी तीर्थ से कम नहीं...

कैसे पागल होते हैं...हंसते हुए मर जाते हैं...
ना जाने क्या बात है उनमे...कुछ ना के लिए, सब कुछ दे जाते हैं...
इन सपूतों के लिए "अजीत" ...आँखों मे पानी कम नहीं...
मौका मिले तो जरूर करना...
दर्शन शहीदों के, किसी तीर्थ से कम नहीं...""""

©पूर्वार्थ #आर्मी
7 साल पहले जिस हादसे ने आज की तारीख के लिए एक 
काला इतिहास लिख दिया था, आज उसी तारीख के वापस
 आने से फिर से वो ज़ख्म उभर आए हैं |

माँ भारती के 40 वीर सपूतों ने अपने प्राणों की आहुति दे कर
 हम सभी की सुरक्षा को बरक़रार बनाए रखा | आज की रचना
 हमारे सभी शहीदों के चरणों में अर्पित है :-

""""आँखों की दो बूँदों के आगे...सातों समंदर हारे है...
मेहंदी वाले हाथो ने जब...मंगलसूत्र उतारे हैं...
सावन अब बीतेंगे सूने...फिर भी दिल मे ग़म नहीं...
और मोका मिले तो जरूर करना...
दर्शन शहीदों के किसी तीर्थ से कम नहीं...

उस पागल मतवाले ने...फ़र्ज़ अपने अदा किए...
देखना उन हाथों की झुर्रियाँ भी...
जिन्होंने अपने लाल विदा किए...
टूटा है अंदर से दिल...आँखे फिर भी नम नहीं...
मौका मिले तो ज़रूर करना...दर्शन शहीदों के किसी तीर्थ से कम नहीं...

होली के बसंती रंग हो या...दियों की कतारों मे...
दो पल उनको दे कर आना...खुशियो के त्योहारों मे...
रीत रिवाज़ की बेड़ियां है अब बस...त्योहारों मे उमंग नहीं...
मोका मिले तो जरूर करना...दर्शन शहीदों के किसी तीर्थ से कम नहीं...

कैसे पागल होते हैं...हंसते हुए मर जाते हैं...
ना जाने क्या बात है उनमे...कुछ ना के लिए, सब कुछ दे जाते हैं...
इन सपूतों के लिए "अजीत" ...आँखों मे पानी कम नहीं...
मौका मिले तो जरूर करना...
दर्शन शहीदों के, किसी तीर्थ से कम नहीं...""""

©पूर्वार्थ #आर्मी