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**गुफ़्तगू होने लगी है ** धड़कने अब रूबरू होनें


**गुफ़्तगू होने लगी है **
 धड़कने  अब  रूबरू  होनें  लगी  हैं।
दिल से दिल की गुफ़्तगू होने लगी है।

जिन  अंधेरो  में चले  थे  बाँह  थामे।
उनमें भी अब चांदनी  होने  लगी है ।

धड़कने भी अब बरस  के थम गईं हैं।
आँसुओ से हिज्र ए ग़म धोने लगी हैं।

दो दिलो के  बीच में  जो दूरियाँ  थी।
मिट गई फिर   गुफ़्तगू होने लगी  है ।
                           पूनम आत्रेय

©poonam atrey
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