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एक दिन ज़ब वो मुझ पर हंसा था तो मैंने बुरा नही मान

एक दिन ज़ब वो मुझ पर  हंसा था
तो मैंने बुरा नही माना   उलटे
उसे करुण  दृष्टि से  निहारा था

फिर रक दिन भूले से ज़ब मै उस पर. हँसा था
तो मूझे अपनी नादानी  पर आत्म ग्लानि
का अहसास हुआ था

©Parasram Arora
  आत्म glani🙏🏼

आत्म glani🙏🏼 #कविता

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