मुकम्मल चाहत का मज़ा कहाँ अधूरी चाहत भी यूँ सजा कहाँ नस नस मेें बहता तू 'इश्क़' सा बिन तेरे इश्क़ की अजा कहाँ गुन गुनाता हूँ, दिल के साज पे रूहानी इश्क़ और फिज़ा कहाँ एतबार तेरे इश्क़ पर सनम यूँ वादा करने का यूँ फ़ज़ा कहाँ खुशी का राज तेरा प्यार प्रिय बिन तेरे और कोई रज़ा कहाँ 🌺 लेखन संगी 🌺 #rztask463 #restzone #rzलेखकसमूह #मनु_के_मन_के_मोती #yqdidi #yqhindi