कैसे कैसे दिन दिखाए ज़िंदगी, हम तो तुझसे बाज़ आए ज़िंदगी, ग़ैर के कूचे में या फिर मयकदे, इस तरह काटी सज़ाए ज़िंदगी . ----सदोष हिसारी एक शे'र--- सदोष हिसारी