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dralpanasuhasini9266
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Dr. Alpana suhasini

Anchor in DD1, Announcer in AIR, Actress, poetess

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Dr. Alpana suhasini

न जाने क्या ज़माना चाहता है,
मेरी ख़ुशियां मिटाना चाहता है।

मेरी  मासूमियत को छीन कर क्यों,
मुझे शातिर बनाना चाहता है.

अभी कोई कमी बाक़ी है शायद,
जो फिर से आज़माना चाहता है।

मिटाकर तीरगी अब ज़िन्दगी से,
उजाले में वो आना चाहता है।

निगाहों से लगे सीधा जिगर पर,
वो इक ऐसा निशाना चाहता है । 

परिंदे की है बस इतनी सी ख़्वाहिश,
नशेमन फिर बसाना चाहता है।
         अल्पना सुहासिनी

©Dr. Alpana suhasini #गजल#गजल_सृजन #
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Dr. Alpana suhasini

है ज़रूरत ही कहां लफ़्ज़ों की,
इश्क़ आंखों से अयां होता है।

©Dr. Alpana suhasini
  शे'र

शे'र #कविता

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Dr. Alpana suhasini

कोशिशें तुमसे दूर जाने की, बहते दरिया से पार पाने की (अल्पना सुहासिनी)

#HeartfeltMessage

कोशिशें तुमसे दूर जाने की, बहते दरिया से पार पाने की (अल्पना सुहासिनी) #HeartfeltMessage #शायरी

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Dr. Alpana suhasini

जूही चंपा टेसू और कचनार की बातें करें

#HeartfeltMessage

जूही चंपा टेसू और कचनार की बातें करें #HeartfeltMessage #शायरी

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Dr. Alpana suhasini

धर गए मेहंदी रचे दो हाथ जल में दीप, 
जन्मों जन्मों ताल सा हिलता रहा मन 
(श्री किशन सरोज) #Insaaf_kab_milega
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Dr. Alpana suhasini

फ़िर कोई मस'अला न हो जाए,
बेसबब फासला न हो जाए,
साफगोई की छोड़ दो आदत,
कत्ल का सिलसिला न  हो जाए.
                  अल्पना सुहासिनी
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Dr. Alpana suhasini

पिताजी श्री निर्दोष हिसारी जी की एक रचना :
  --- ------------   ---------------    --------------    ---
कहाँ देश को ले आई हैं पहरेदारों की करतूतें 
हमें सोचना होगा साथी,यह तो हमें सोचना होगा !

पल-पल ज़हर पिया था जिनने 
बूँद-बूँद निज रक्त दिया था 
जिनके बलिदानों ने इसके 
अंधकार को सूर्य किया था 
उसी बाग़ में बोलो कैसे इतनी विषबेलें उग आईं 
यह तो हमें सोचना होगा,हमें सोचना होगा साथी !

जो बोते हम वही काटते 
अब तक का तो सत्य यही है 
कीकर बो कर आम न पायें 
जन-जन ने यह बात कही है 
अपने नव इतिहास में अब जो जयचंदों की भीड़ लगी है 
हमें सोचना होगा इस पर,यह तो हमें सोचना होगा ! 

तपोभूमि पर सिंहभूमि पर 
पामर-गीदड़ राज कर रहे 
दुबक गया है शौर्य हमारा 
जीते जी हम नित्य मर रहे 
अनहोनी कब हुई जगत में होनी होकर ही रहती है 
हमें सोचना होगा इस पर, हमे सोचना होगा यह तो #Delhi_Riots
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Dr. Alpana suhasini

भटकते अब्र ने धरती से ये  कहा होगा
पनाह हमको भी दे दे तेरा भला होगा.

ज़मीं ने झूम के जब  नज़्म गुनगुनाई थी,
तो आस्मां को तभी इश्क भी हुआ होगा.

चला था राह मुहब्बत की जो कभी तन्हा, 
उसी का नाम इबारत में भी लिखा होगा.

ये मौज़ें झूमती रहती हैं लेती  अँगड़ाई,
इन्हें भी इश्क समंदर से हो गया होगा.

फिज़ाएं महकी हैं कुछ और भी ज़ियादा अब,
बदन तुम्हारा हवाओं ने फिर छुआ होगा.

तुम्हारे नाम का चरचा है आज फिर हरसू,
कहीं पे आग तो होगी धुआँ उठा होगा.

चमन में आज ज़ियादा ही ओस आए नज़र,
ज़रूर आस्मां ये ग़मज़दा रहा होगा. ग़ज़ल

ग़ज़ल

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Dr. Alpana suhasini

भटकते अब्र ने धरती से ये  कहा होगा
पनाह हमको भी दे दे तेरा भला होगा.

ज़मीं ने झूम के जब  नज़्म गुनगुनाई थी,
तो आस्मां को तभी इश्क भी हुआ होगा.

चला था राह मुहब्बत की जो कभी तन्हा, 
उसी का नाम इबारत में भी लिखा होगा.

ये मौज़ें झूमती रहती हैं लेती  अँगड़ाई,
इन्हें भी इश्क समंदर से हो गया होगा.

फिज़ाएं महकी हैं कुछ और भी ज़ियादा अब,
बदन तुम्हारा हवाओं ने फिर छुआ होगा.

तुम्हारे नाम का चरचा है आज फिर हरसू,
कहीं पे आग तो होगी धुआँ उठा होगा.

चमन में आज ज़ियादा ही ओस आए नज़र,
ज़रूर आस्मां ये ग़मज़दा रहा होगा.

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Dr. Alpana suhasini

भटकते अब्र ने धरती से ये  कहा होगा
पनाह हमको भी दे दे तेरा भला होगा.

ज़मीं ने झूम के जब  नज़्म गुनगुनाई थी,
तो आस्मां को तभी इश्क भी हुआ होगा.

चला था राह मुहब्बत की जो कभी तन्हा, 
उसी का नाम इबारत में भी लिखा होगा.

ये मौज़ें झूमती रहती हैं लेती  अँगड़ाई,
इन्हें भी इश्क समंदर से हो गया होगा.

फिज़ाएं महकी हैं कुछ और भी ज़ियादा अब,
बदन तुम्हारा हवाओं ने फिर छुआ होगा.

तुम्हारे नाम का चरचा है आज फिर हरसू,
कहीं पे आग तो होगी धुआँ उठा होगा.

चमन में आज ज़ियादा ही ओस आए नज़र,
ज़रूर आस्मां ये ग़मज़दा रहा होगा.
                                अल्पना सुहासिनी ग़ज़ल #gazal

ग़ज़ल #gazal

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