तुम क़लम बनो ,मैं बनूँ लफ़्ज तुम्हारा हम क़ातिब बन इख्लास की जीवन्त कथा लिख जाएँगे तुम जज़्बात बनो, मैं बनूँ ज़िक्र तुम्हारा हम एहसास बन एतबार की अटूट रस्म निभा जाएँगे तुम नींद बनो , मैं बनूँ ख़्वाब तुम्हारा हम फ़रिश्ते बन इक - दूजे के कटुक कष्ट मिटा जाएँगे तुम स्वर बनो ,मैं बनूँ संगीत तुम्हारा हम मधुर ग़ज़ल बन इस जग को जीवन- राग सुना जाएँगे तुम हृदय बनो, मैं बनूँ रक्त तुम्हारा हम धड़कन बन इस मृत पड़ी रूह को अमर बना जाएँगे तुम ढाल बनो, मैं बनूँ कृपाण तुम्हारा हम पुरुषार्थी मानव बन भाग्य को कर्मों से हरा जाएँगे तुम हवा बनो, मैं बनूँ फूफुस तुम्हारा हम साँसों में साँस मिला जीवन को सफल बना जाएँगे तुम सुयोग बनो, मैं बनूँ वक़्त तुम्हारा इक- दूजे की कीमत पहचान इतिहास अमर बना जाएँगे तुम दौड़ बनो, मैं बनूँ धावक तुम्हारा हम कदमों से कदम मिलाकर दोनों कालजयी हो जाएँगे तुम नदी बनो, मैं बनूँ सागर तुम्हारा हम इक- दूजे की मंजिल बन ये मिलन सफल बना जाएँगे #dr_naveen_prajapati#शून्य_से_शून्य_तक हम उन्मुक्त पंछी हैं, "किसके लिए लिखी" यह पूछकर उपहास न उड़ाएँ🙏 #कवि_कुछ_भी_कलमबद्ध_कर_सकता_है.. #तुम_और_हम फूफुस- फेफड़े कातिब- लेखक इख्लास- प्रेम