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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset इश्क़ लिख रह

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset इश्क़ लिख रहे हो,या सजा लिख रहे हो 
क्या  मुहब्बत को रब की, रजा  लिख रहे हो।

(मिसरा )
हर दर्द को लफ़्ज़ों में समेटा है तुमने,
क्या अश्कों की कोई दवा लिख रहे हो।

ख़ुदा की किताबों में मोहब्बत की बातें,
क्या फरिश्तों से तुम राबता लिख रहे हो।

कफन की वो ख्वाहिश, अधूरी है मन्नत,
क्या मय्यत पे उनका का पता लिख रहे हो।

जिस्म को परे रख, रूह मे बसर कर,
क्या  चाहत को अपना खुदा लिख रहे हो।



पूनम सिंह भदौरिया

©meri_lekhni_12 #SunSet गजल
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset इश्क़ लिख रहे हो,या सजा लिख रहे हो 
क्या  मुहब्बत को रब की, रजा  लिख रहे हो।

(मिसरा )
हर दर्द को लफ़्ज़ों में समेटा है तुमने,
क्या अश्कों की कोई दवा लिख रहे हो।

ख़ुदा की किताबों में मोहब्बत की बातें,
क्या फरिश्तों से तुम राबता लिख रहे हो।

कफन की वो ख्वाहिश, अधूरी है मन्नत,
क्या मय्यत पे उनका का पता लिख रहे हो।

जिस्म को परे रख, रूह मे बसर कर,
क्या  चाहत को अपना खुदा लिख रहे हो।



पूनम सिंह भदौरिया

©meri_lekhni_12 #SunSet गजल