एक अजीब सा खेल खेला है हमसे, कभी हमको हंसाती है, कभी रुलाती है, लगता है कुछ पाने की हममे लगन नहीं है। फिर भी हम हार नहीं मानते, जीत या हार, हमेशा हम खेलते हैं, क्योंकि जिदंगी का यही रंग है, जो भी हो, हमें उससे डरने का हक नहीं है। चलते रहते हैं इस खेल में, कभी सफलता मिलती है, तो कभी नाकामी, पर हम नहीं रुकते, नहीं हारते, अपने सपनों को पाने के लिए लगाते हैं दमी। जिंदगी का यही है धंधा, आसमान चाहे जितना बुलंद क्यों ना हो, पर खेल तो हमेशा ग्राउंड में होता है, जहां हम सबके साथ खेलते हैं, उतर-चढ़ाव करते हैं और जीतते हैं या हारते हैं। तो चलो, जिंदगी से खेलना सीखें, जीत और हार के बीच फर्क नहीं मानें, बल्कि खेल में खुश रहें, अपने दिल को खुश रखें और सबको जीते जाएं। ©विवेक कुमार मौर्या (अज्ञात ) एक अजीब खेल खेला हैं......