#OpenPoetry प्रचण्ड वेग से बहती हुई उन्मुक्त, उग्र, विह्वल, तरंगिणी सी मैं... शांत, निर्मल, गहन,अगाध, मौन धारण किये,अपरिमित रत्नाकर से तुम... अभिधा,लक्षणा,व्यंजना से अलंकृत यति,गति,उपमाओं से सुसज्जित, कालजयी महाकाव्य से तुम.. उस महाकाव्य के मध्य कहीं मात्र पृष्ठ स्मरण हेतु रखे किसी, पृष्ठ स्मृति चिन्ह सी मैं... इतिहास में समृद्धशाली, विलुप्त होते जर्जर भवन के भग्नावशेषों सी मैं... खंडहर होती उस धरोहर के अस्तित्व के संरक्षण हेतु जीर्णोद्धार से तुम... -Anubha"Aashna" #OpenPoetry #तुम्हारा_प्रेम #nojotoqoute #love #life #जज़्बात_ए_आशना