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anubhaaashna2331
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Anubha "Aashna"

writer, social worker, trainer insta id- @anubha.aashna do check out and follow there.. also can dm related to work.

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Anubha "Aashna"

कुछ रिश्ते नामों के मोहताज नहीं होते, परे होते हैं बंधनों के, 
जो परे होते हैं समय की हर कसौटी के, 
रिश्ते जिन्हें निभाया नहीं जाता, निभाया जा ही नहीं सकता.. 
ऐसे रिश्ते जिन्हें जिया जाता है, 
रिश्ते जो आज़ाद होते हैं मन की तरह.. 
और साथ रहते हैं धड़कन बनकर आखरी साँस तक.. 
 रिश्ते जो जिए जाते हैं साथ रहकर, दूर होकर, यादें संजो कर..  
रिश्ते जो चले आते है लबों पर मुस्कान की तरह खुशी की निशानी बनकर.. 
रिश्ते जो बसते हैं रूह में.. 
ऐसा ही रूहानी रिश्ता देने के लिए शुक्रिया..

©Anubha "Aashna" आपके दिल से निकलने वाली हर दुआ कुबूल हो, उसकी नेमतें इतनी हो की अल्फाज़ शुक्रिया अता न कर सकें। 
जन्मदिन मुबारक साहिब..❤️

आपके दिल से निकलने वाली हर दुआ कुबूल हो, उसकी नेमतें इतनी हो की अल्फाज़ शुक्रिया अता न कर सकें। जन्मदिन मुबारक साहिब..❤️ #विचार

15 Love

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Anubha "Aashna"

यूँ तो खुद में ही रहती हूँ बहुत व्यस्त पर 
जब तुम साथ वक़्त बिताते हो 
तब अच्छा लगता है..
यूँ तो  किसी से नही जरा भी हूँ मैं कम पर
जब इस बात पर तुम इतराते हो
तब अच्छा लगता है..
यू तो लड़ना सीखा है मैंने हालातो से खुद ही पर
जब साथ खड़े तुम हो जाते हो
तब अच्छा लगता है..
देर रात, वीरान सड़क पर जाने से नही डरती मैं पर
घर पहुँचाने साथ मेरे जब  तुम आते हो
तब अच्छा लगता है
आदत है मुझे अकेले हर सफर तय करने की पर
जाते जाते तक सारी हिदायतें  जब बार बार दोहराते हो 
तब अच्छा लगता है..
यूँ तो हूँ अचल, अड़िग, मजबूत बहुत मैं पर 
 सर रख अपने कांधे पर जब सहलाते हो
तब अच्छा लगता है..
भीड़ में घूरती निगाहों से फर्क नहीं पड़ता अब मुझको..
पर जब हाथ थाम मेरा तुम तेवर उन्हें दिखलाते हो 
तब अच्छा लगता है..
यूँ तो जीवन का हर निर्णय लेने में हूँ सक्षम मैं
पर उन पर आंख मूंद विश्वास जब तुम दिखलाते हो
तब अच्छा लगता है..r
 घर  के बाहर के सारे कामों को करती हूं मैं खुश होकर
पर छोटे छोटे कामों में जब तुम मेरा हाथ बटाते हो तब अच्छा लगता है..
यूँ तो हर गम सहना, और आंसू पीना सीखा है मैंने
पर मेरी एक हंसी के खातिर जब लाख जतन कर जाते हो, तब अच्छा लगता है
यूँ तो भरोसा खुद पर भरपूर है मुझको पर
जब तुम हौसला बढ़ाते हो तब अच्छा लगता है..
हालातों  से समझौता करना नहीं जानती मैं पर
उनसे लड़ने साथ मेरे  जब तुम डट जाते हो
तब अच्छा लगता है..
नहीं जानती थकना और रुक जाना मैं पर
हमसफर बन जब तुम कदम मिलाते हो 
तब अच्छा लगता है..
सबपर प्यार लुटाना तो आदत है जैसे मेरी
पर जब तुम हक से मुझ पर प्यार जताते हो
तब अच्छा लगता है...
यूँ तो घर की बेटी नहीं बेटा हूँ मैं पर
जब जब तुम बिटिया मुझे बुलाते हो 
तब अच्छा लगता है  हां तब तब अच्छा लगता है

©Anubha "Aashna" #जज़्बात_ए_आश्ना
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Anubha "Aashna"

कुछ यादें चुभती हैं ताउम्र
नासूर बन कर सीने में...
कुछ हादसे गुज़र कर भी
ठहर जाते हैं जेहन में..
साथ रहते हैं क़ज़ा तक !



...

©Anubha "Aashna" #जज़्बात_ए_आशना #old_memories
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Anubha "Aashna"

ये रात हमेशा ऐसे ही याद रहेगी शायद... 5 साल हो गए पर लगता है जैसे ये बात बीते कल की ही है कैसे तुमसे झगड़ा करना जिंदगी का अटूट हिस्सा बन चुका था, कैसे हम दोनों दोस्ती की कहानी एक साथ लिख रहे थे, एक लड़का और एक लड़की कभी दोस्त नहीं हो सकते, इस बात को तो जैसे दुनिया के सामने ग़लत साबित करने की कसम खा रखी थी तुमने.. तुम बताना चाहते थे कि दोस्ती लड़का या लड़की नहीं इंसान देखकर होती है.. तुम्हारी बातें आज भी ज़ेहन में उतनी ही ताज़ा है और आज भी लगता है अभी मेरा फोन बज उठेगा और दूसरी तरफ़ वही शिकायती लहज़े वाली आवाज़ होगी.. कुछ मलाल ताउम्र दिल में कसक बन कर रह जाते है ऐसा ही एक मलाल है उस रात तुम्हारे कहने के बाद भी तुमसे बात न कर पाने का.. जिंदगी किसी के जाने से नहीं रुकती पर कुछ कमियां जिंदगी भर खलती हैं तुम्हारा न होने से जो ख़ालीपन है उसे सारी जिंदगी नहीं भरा जा सकता न तुम्हारी यादों से, न किसी और कि दोस्ती से.. क्योंकि तुमसा तो कोई और हो ही नहीं सकता न.. झूठ नहीं कहूँगी अब भी तुम्हारी जरूरत है और अब भी तुम याद आते हो.. और अब भी मुझे इंतेज़ार है अपनी कहानी के अंत का.. हाँ मैं नही मानती की तुम्हारा यूँ चले जाना इस कहानी का अंत था.. इस कहानी का अंत तुम ही लिखोगे..  तब तक जहाँ हो ख़ुश ही हो ये यकीं है मुझे... आकाश पृथ्वी के हर कोने से जो नज़र आता है.. है ना.. तुम होगे तो यहीं इसी दुनिया में, किसी और रूप में, किसी और नाम के साथ.. पर मेरे लिए तुम आकाश हो,सदा के लिए.... तुम्हारे पसंदीदा रूमी के उस जहां में मेरा इंतेज़ार करना.. यहाँ से बहुत दूर , सही और गलत के पार एक मैदान है मैं तुम्हें वहाँ मिलूँगी.. अपनी कहानी का अंत लिखना बाकी है...

©Anubha "Aashna" #aakash #deathanniversary  #freindsforever
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Anubha "Aashna"

मेरे बेरंग ख्वाबों में जो,
रंग  सतरंगी भरता है..
वो इक लड़का न जाने,
रंग  कितने  रखता है..
सबका साथ निभाने वाला,
छोड़ कभी न जाने वाला..
खुद न जाने क्यूँ राहों पर,
अक्सर ही तन्हा चलता है..
दर्द बाँटने वाला सबके,
सबके दुखड़े सुनने वाला..
अपने हर ग़म से आख़िर,
क्यूँ हरपल तन्हा लड़ता है..
चेहरे पर मुस्कानें रखता,
अपने हर डर को ढँकता..
जाने क्या- क्या दिल में,
अपने दफनाये फिरता है..
हर ग़म अब उसका जुदा हो,
हर पल खुशियों से सजा हो..
उदास न अब हो कोई लम्हा,
दिल मेरा बस ये दुआ करता है..
हर सपना उसका सच हो जाए,
जो भी चाहे वो सबकुछ पा जाए..
शाद सुबह खुशनुमा रातें हो उसकी,
वो आखिर पाक नियत रखता है..
वो लड़का जाने कितने रंग रखता है...

©Anubha "Aashna"  happy birhday...इकराश़

happy birhday...इकराश़ #कविता

18 Love

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Anubha "Aashna"

जानती हूँ कि अब शायद तुम अपनी नयी दुनिया मे मशरूफ़ हो चुके होगे.. मैं भी अपनी जिंदगी जी ही रही हूँ अब भी बहुत से लोग हैं मेरी जिंदगी में, पर मेरी एक आवाज़ से मेरा हाल पहचान ले ऐसा शायद कोई नहीं.. अब भी बातें करती हूँ तुमसे, तुम तक पहुँचती हैं भी या नहीं ये न जानती हूँ न जानना चाहती हूँ.. चार साल हो गए तुम्हें गए हुए पर अब भी लगता है कि जब खुद से ही परेशां होकर, दुनिया से, खुद से कहीं दूर भागने की कोशिश करुँगी तो पीछे से एक आवाज़ मुझे रोक लेगी.. हमेशा की तरह मुझे हौसला देगी और साथ में ढ़ेर सारा ज्ञान भी.. जानती हूँ कि अब ये मुमकिन नहीं.. आपकी जिंदगी में शामिल सबसे अच्छे लोगों को आपसे इतनी जल्दी और इस तरह अलविदा कहने का हक़ नहीं होना चाहिये और न ही उन्हें आपसे छीन लेने का भी.. दुनिया बनानें वाले के हिस्से में भी ये हक़ नहीं होना चाहिए.. तुम्हारा जिक्र अब भी मेरी बातों में शामिल है और तुम अब भी मेरी जिंदगी में.. हाँ तुम्हारे पसंदीदा लेख़क अब भी मेरे पसंदीदा नहीं है लेकिन उन्हें पढ़ती जरूर हूँ.. दोस्ती के मायने अब भी तुम हो और हर किसी को बड़े यक़ीन के साथ कहती हूँ कि एक लड़का और एक लड़की सबसे अच्छे दोस्त हो सकते है अगर दोस्त आकाश के जैसा हो तो.. रोज़ाना याद नहीं करती तुम्हें पर तुम अचानक से चले आते हो.. बातों में, ख्यालों में.. बहुत ही  कम वक़्त गुज़ारा है हमने साथ.. क्यूँकि तुम्हें किसी और दुनिया में मेरा इंतज़ार करना था अपनी कहानी के सबसे खूबसूरत अंत के साथ... लिख रहे हो न पहली दफे किसी कहानी का अंत.. अपनी कहानी का अंत..  जानती हूँ तुम अब जहाँ भी हो वहाँ आकाश की तरह अंतहीन मुस्कुराहटें होंगी.. हँसते रहना और हाँ इंतज़ार करना....
- तुम्हारी दोस्त

©Anubha "Aashna" #friendforever #Friend #Missing
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Anubha "Aashna"

सुनो लड़कियों..
गर ठहाके लगाना खुलकर.. 
या ऊँची आवाज़ में बोलना,
बनाता है तुम्हें बुरी लड़की.. 
तो बन जाना...
ख़ुद के लिए आवाज़ उठाना..
या अपने हक़ के लिए लड़ना,
बनाता है तुम्हें बुरी लड़की.. 
तो बन जाना...
किसी से बेइंतहा मुहब्बत..
 हो जाने पर उसे निभाना,
बनाता है तुम्हें बुरी लड़की.. 
तो बन जाना..
इश्क़ में मात मिलने पर भी..
जिंदगी को दूसरा मौका देना,
बनाता है तुम्हें बुरी लड़की..
 तो बन जाना..
क्यूँकि दुनिया के लिए..
अच्छी लड़कियाँ होती है,
जैसे बस कठपुतलियाँ..
जिनकी डोर थामे रख 
सके वो अपने हाथों में..
याद रखना...
ज़िन्दगी ख़ुदा की रहमत है..
इसे जी भर जीना खुलकर,
बिना परवाह करे दुनिया की.. 
गर अपनी मर्ज़ी से जीना...
 बनाता है तुम्हें एक बुरी लड़की..
तो बेशक़ बन जाना.. 
बन जाना एक बुरी लड़की... 
दुनिया की नज़र में बुरा होना..
हर पल घुट घुट कर जीने से,
ज़्यादा बुरा नहीं होता...

©Anubha "Aashna" कभी कभी बुरा होना भी अच्छा होता है...

कभी कभी बुरा होना भी अच्छा होता है...

7 Love

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Anubha "Aashna"

एक और बरस बीत गया.. पर लगता है जैसे कल की ही बात थी तुम्हारा लड़ना झगड़ना और फिर कुछ ऐसा कह देना कि हँसे बिना रहा न जाए.. मैं अब भी रूमी को पढ़ती हूँ पर अब तुम्हारा वादा नज़र आता है उन लफ़्ज़ों में.. अब भी दिल में वो जगह तुम्हारी ही है उसे कोई और ले नहीं सकता ताउम्र.. अब भी तुमसे न जाने कितनी बातें करती हूँ यकीन है कि तुम सुनते हो मेरा कहा अनकहा सब.. तुम्हारा आखिरी मैसेज अब तक संभाल कर रखा है कि तुम बस मुझसे झगड़ा नहीं चाहते ताउम्र.. इसलिए झगड़ती नहीं हूं तुमसे अब भी.. पर सिर्फ़ तब तक जब तक इस दुनिया के सारे सही और ग़लत के परे.. उस मैदान में तुम मुझसे मिल नहीं जाते.. जिस दिन मिलोगे बहुत झगड़ा करूँगी.. जी भर कर नाराज़गी जताऊँगी इस दुनिया से इतनी जल्दी अलविदा कह जाने के लिए.. हमारी कहानी को ऐसे अधूरा छोड़ जाने के लिए.. जानते हो ये दुनिया अब भी बिल्कुल वैसी है.. दोस्ती के असल मायनों से बेख़बर.. आज भी जब कोई कहता है एक लड़का और एक लड़की कभी सिर्फ दोस्त नहीं हो सकते है तो हँसी आती है मुझे उनपर.. फिर लगता है कि काश तुम्हारा हाथ पकड़ कर तुम्हें इस दुनिया के सामने ला सकती और बता सकती उन्हें दोस्ती के असल मायने.. शुक्रगुजार हूँ मैं ऊपरवाले की.. छोटा ही सही.. बहुत कम वक़्त के लिए ही सही पर हमारा मिलना लिखा था उसने.. मेरी ज़िंदगी की किताब का सबसे खूबसूरत पन्ना हो तुम.. अधूरा ही सही पर सबसे अज़ीज़ किस्सा हो तुम.. हाँ तुम्हारे जाने के बाद तुम्हारी ही तरह किसी भी कहानी का अंत नहीं लिखा मैंने.. जानते हो अब दोस्तों के ही नहीं दुश्मनों के भी मैसेज का रिप्लाई तुरंत देती हूँ.. तुम्हारे आखिरी मेसेज और कॉल का रिप्लाई देने का मलाल आज भी उतना ही  जो है.. रात में जब तारे देखती हूँ तो सबसे जगमगाते तारे को देखकर लगता है कि तुम  देख रहे हो किसी और दुनिया से हम सब को.. पर ही पल लगता है कि तुम तारे नहीं हो तुम तो आकाश हो न.. जहाँ भी जाओगे आसमान ही रहोगे.. तुम जिस भी दुनिया में हो अभी वहाँ भी सबके चेहरों पर हँसी ला रहे होंगे ये यकीन है मुझे.. और ये भी अगर इस दुनिया  में कहीं भी हो तुम तो मुझे मिलोगे जरूर और हाँ मेरी रूह पहचान लेगी तुम्हारी रूह को.. जहाँ भी हो बस वैसे ही खुश रहना जैसे चार बरस पहले तक थे.. तुमसे बेहतर दोस्त, और पानीपुरी पार्टनर कोई और नहीं है याद रखना वहाँ भी.. और हाँ तुम्हारे पसंदीदा लेख़क को पढ़ने लगी हूँ ये बात और है कि वो पसंद मुझे अब भी नहीं...  तुम लिख रहे हो न हमारी कहानी का बेहद खूबसूरत अंत.. तुम्हारा जाना हमारी कहानी का अंत नहीं है ये बस वो आख़िरी पन्ना है जिसपर लिखी है इस दुनिया से उस मैदान तक के मेरे तन्हा सफर की दास्तां.. जहाँ तुम इंतेज़ार कर रहे हो दोस्त..
हमारी कहानी के खत्म होने के इंतेज़ार में.. 
तुम्हारी सखी ..

©Anubha "Aashna" #memoriesforever #friendforever
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Anubha "Aashna"

वो सरसों के खेत याद हैं तुम्हें.. नहीं याद नहीं होंगे, जानती हूँ.. फिर भी मुझसे जुड़ी कोई याद बाकी रखना चाहो तो वो सरसों के खेत याद रख लेना... बस की खिड़की से लहलहाते खेत देखकर ही आँखे चमक उठती थी मेरी.. और मेरे अंदर रहने वाली वो बच्ची जिसे देखे अब अरसा हुआ मचल जाती थी कि उसे इन खेतों में लहलहाती सरसों के पीले फूलों के बीच एक तस्वीर खिंचवानी है.. कितनी ही बार ज़िद करी, कितनी ही बार लड़ी और झगड़ी.. पर न कभी तुमने दिलचस्पी दिखाई और न ही मेरे लड़ने झगड़ने का कोई फ़र्क पड़ा तुम पर.. मौके तो कई मिले थे वैसे है ना! अब कहोगे तुम कि मुझ जैसी स्वाभिमानी,आत्मनिर्भर लड़की कब से इतनी छोटी सी ख़्वाहिश के लिए किसी का सहारा तलाशने लगी.. जानती हूँ कि ये ख़्वाहिश पूरी कर सकती थी मैं.. पर कुछ छोटे छोटे से ख़्वाब हैं मेरे जिनमें हम दोनों का होना ज़रूरी है उनमें से ही एक ख़्वाब था लहलहाते सरसों के बीच खड़ी में और तस्वीर लेते तुम... हाँ ये फ़िल्मी ख़्वाब है शायद.. और तुम कहोगे कि मुझ जैसी संजीदा लड़की पर ये बचपना अच्छा नहीं लगता.. पर हूँ तो मैं भी एक लड़की न.. ख़ैर मेरी अधूरी ख़्वाहिशों की फेहरिस्त में एक और ख़्वाब सही.. अब शायद कभी ये पूरी न हो सकेगा.. हाँ अभी अभी देखी है फेसबुक पर सरसों के खेत में कुछ दोस्तों के साथ खड़े हुए तुम्हारी तस्वीर.. शायद सिर्फ़ मैं ही ग़ैर जरूरी थी तुम, मैं, तस्वीर, और सरसों के खेत में....

©Anubha "Aashna"

10 Love

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Anubha "Aashna"

प्रिय नानी,
जन्मदिन की बहुत शुभकामनायें..
एक बरस हो गया तुम्हें गये हुए,पर न जाने ऐसे कितने पल हैं..
जब यूँ ही तुम याद आ जाती हो,जब जब घटित होता है कुछ नव
अनायास ही याद आ जाता है..हर नयी घटना पर वो सुनाना 
तुम्हारा कोई पुराना अनुभव,अपने जीवन संघर्ष के पिटारे से निकाल कर...
इस बरस  हालातों के आगे विवश ही सही जब साथ थे सब तब न, 
जाने अनजाने बहुत याद आया..तुम्हारा उलाहना देना कि समय ही नहीं है,
किसी के पास कि कोई बैठे फुरसत से मेरे साथ और घंटों करे बातें मुझसे गुज़रे ज़माने की..
कितनी ही बार लगा कि काश...ईश्वर ने लिखी होती तुम्हारे हिस्से थोड़ी और ज़िन्दगी...
याद आ जाता है अक्सर ही मेरा, तुम पर वो झुंझला जाना, 
वो सारी पुकारें जो शायद तब किसी कारणवश अनसुनी रह गयीं
अब अक्सर रात के सन्नाटे में गूँजती हैं मेरे कानों में..आज भी आ जाती हो तुम मेरे सपनों में,
कभी हँसती- मुस्कुराती, कभी बतियाती, तो कभी अपना दुखड़ा सुनाती रोती हुई..
शायद यही सबसे अच्छा तरीका है अपनी कुशल क्षेम पहुंचाने का मुझ तक,
वो ख़ास तुम्हारी विधि वाले करेले अब तक नहीं बने,और हर बार ही पोहा बनने पर निकल आता है 
किसी न किसी के मुँह से कि इस पोहे में, वो तुम्हारे हाथों वाला स्वाद नहीं...
तुम्हारे जाने पर सब की आँखे नम थी सिवाय मेरे..एक आँसू भी नहीं बहाया मैंने तुम्हारे जाने पर..
तब लगा था जैसे मेरे अंदर कुछ टूट गया है,और नमी बची नहीं है इन आँखों में...
ये भी लगा कि शायद संवेदन हीन हो चुकी हूँ मैं,
पर अब... अब समझ पायी हूँ मैं..
कि तुम गयी तो हो लेकिन,हर किसी में अपना एक हिस्सा छोड़कर.. 
नज़र आती हो इस घर के हर एक हिस्से में,परिवार के हर सदस्य में थोड़ी सी तुम...
हर एक की किसी न किसी आदत में झलक जाती हो तुम..
कभी मासी में तुम्हारा अक्स नज़र आता है तो कभी मां में तुम्हारी परछाई..
कभी मामा की आदतों में झलक जाती हो..तो कभी हम बहनों में भी दिख जाती हो
थोड़ी सी तुम...
तुम आज भी हमारे साथ हो.. हर एक में हर एक का हिस्सा बनकर....
फिर भी यूँ ही बात बिन बात याद आ जाती हो तुम..

©Anubha "Aashna" #HappyBirthdaynani #नानीकोपाती
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