यार चाहे जैसा भी हो रहनुमा लगता है •••••••••••••••••••••••••••• इश्क़ में सारा ज़ख़्म खुशनुमा लगता है। यार चाहे जैसा भी हो रहनुमा लगता है। ये वो मर्ज है जो सारे शुकूं छिन लेता है, महबूब की बांहें, अपना मकां लगता है। हर लम्हें फ़कत पलकों में गुजर जाते हैं, बाकी सारा जहां महज धुआं लगता है। पाक रिश्तों में दाग़दार अच्छे नहीं होते, दाग़ जैसा भी हो वह बदनुमा लगता है। इश्क़ में सूरत नहीं सीरत ही देखी जाती, हमराही जैसा हो, अपना गुमां लगता है। प्यार की मंज़िल में सारा जहां मिलता है, पर ये वो सफ़र है जो अनसुना लगता है। दर्द को आंखों में सहेज कर हमनें रखा है, सारा जन्नत महज़ ये दोनों जहां लगता है। ××××××××××××××××××××××××× ---राजेश कुमार गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) दिनांक:-09/01/2025 ©Rajesh Kumar #MereKhayaal