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rajeshkumar9001
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Rajesh Kumar

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Rajesh Kumar

White मैं सूखे अश्कों से अपनी....
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लफ्ज़ बहुत कम हैं मेरे पर बेबाक हकीकत लिखता हूं।
मैं दिल के तराने गाता हूं, आंसू से मोहब्बत लिखता हूं।
मैं अफसानों  से दूर बहुत और दर्द-ए-दिल समझता हूं,
इश्क़ को खुदका धाम समझ इश्क़े इबादत लिखता हूं।

दरिया सा बहना आता है,कलियों सा खिलना आता है।
मैं अम्बर जैसा खामोश पड़ा सागर सा थमना आता है।
धड़कन की बातें सुनता हूं,सांसों की इनायत लिखता हूं।
मैं दिल के तराने गाता हूं...

पत्थर दिल रास नहीं आते,मौसम में बहकना आता  है।
मैं गैरों के दर्द समझता हूं मुझे ग़म में तड़पना आता है।
जो खोया है वो याद नहीं, मैं दिली शराफ़त लिखता हूं।
मैं दिल के तराने गाता हूं...

कुछ और हकीकत किस्से हैं कुछ और मेरी कहानी है।
कुछ भूला, कुछ याद नहीं  पर कुछ करने को ठानी है।
मैं सूखे अश्कों से अपनी खुद की रफ़ाकत लिखता हूं।
मैं दिल के तराने गाता हूं...
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---राजेश कुमार 
गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)
दिनांक:-18/09/2024

©Rajesh Kumar #sad_quotes
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Rajesh Kumar

White दो दिन की जवानी है...
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ये फूलों सा बदन तेरा, मिट्टी का खिलौना है।
दो दिन की जवानी है,दो पल का ठिकाना है।

सब रिश्ते और सब नाते मतलब के साथी हैं।
यहां कोई नहीं अपना, ना सफ़र के साथी हैं।
है दुनिया की रीति यही, आना और जाना है।
दो दिन की जवानी है...
ये काया है माया का और ये मन भी पंछी है।
उड़ता है नील गगन में बिन पॅंख का पंछी है।
तू आकर भटक गया,क्यों भूले हुए जाना है?
दो दिन की जवानी है...
हैं वो भी नहीं अपने जो तेरी मौत पर रोएंगे।
बस दो दिन की यारी है दो दिन ही निभाएंगे।
रोते हुए आएं सब और चुपके से ही जाना है।
दो दिन की जवानी है...
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-----राजेश कुमार 
गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)
दिनांक:-17/09/2024

©Rajesh Kumar #good_night
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Rajesh Kumar

White आंधियां ज़ोर दिखाएं तो तूफ़ानों से डर लगता है।
मुझको तो  सन्नाटों और  वीरानों से डर लगता है।
टूट कर बिखर जाये ग़र कोई ज़िंदगी का आलम,
ऐसे सफ़र ए मंज़िल के ठिकानों से डर लगता है।

---राजेश कुमार 
गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)
दिनांक:-17/09/2024

©Rajesh Kumar #good_night
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Rajesh Kumar

White सब अपने ही मिले और अपने ही आग लगाने आए।
बुझी हुई चिंगारी दबी सीने में उसे हवा दिखाने आए।
 सबने मुझपे ही मोहर-ए-जुर्म लगाने की हुनर पाली है,
खुदगर्जी में मुझको चाहा है और लाखों  बहाने आए।

---राजेश कुमार 
गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)
दिनांक:-16/09/2024

©Rajesh Kumar #love_shayari
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Rajesh Kumar

क्या अनुमान लगाएं हम...
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क्या अनुमान लगाएं हम कि कब कितना नुक़सान हुआ?
खुद को तेरे हवाले कर दी और अपने से ही अंजान हुआ।
ज़र्रा ज़र्रा यहां टूटा इंसा तिनकों तिनकों में बिखर गया है,
सब कुछ खोके जीवन खोया तब वक्त का पहचान हुआ।
क्या अनुमान लगाएं हम...
उन तस्वीरों की ओझल छाया अब फीके रंग भर डालें हैं।
उन्हीं स्मृतियों के पदचिन्हों पर ही दुखते पांवों में छालें हैं।
सब सफ़र हैं अंजाने राहों का कौन किसकी परवाह करे?
मन में लिए उम्मीदें पाले हैं,यहां कौन नहीं परेशान हुआ?
क्या अनुमान लगाएं हम...
धन दौलत के झगड़ों में यहां सब प्रेम बिखरता जाता है।
जब छाएं बादल घने मोह का तब क्रोध उतरता जाता है।
सूखे आंसू पूछते प्रश्न को और उत्तर को कौन खंगालेगा?
प्यार का भूखा हृदय हो जिसका वही बेहद बेजान हुआ।
क्या अनुमान लगाएं हम....
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----राजेश कुमार 
गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)
दिनांक:-15/09/2024

©Rajesh Kumar #engineers_day
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Rajesh Kumar

मेरी स्वरचित व मौलिक रचना:---

©Rajesh Kumar
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Rajesh Kumar

स्वरचित व म मौलिक रचना:-

©Rajesh Kumar
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Rajesh Kumar

White उल्फत की क्या उम्मीद करें उस बेवफा महबूब से?
ना गुफ्तगू का फ़लसफ़ा और ना चाहतें उम्मीद से।
बेतुके बे-बात से कभी दिल कोई धड़कता ही नहीं,
वो कभी ना हो रुखसत  चाहे जिस्म जाए रूह से।

-----राजेश कुमार 
गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)
दिनांक:-13/09/2024

©Rajesh Kumar #sad_quotes
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Rajesh Kumar

White अपना पता बदल दिये 
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ज़रूरतों के मुताबिक अपनी दुआ बदल दिये।
और वो खुद  नहीं बदले पर खुदा बदल दिये।

हमनें तो उन्हीं को मांगा  उस परवरदिगार से,
वो घर ही नहीं शहर का भी रस्ता बदल दिये।

जिस फूल को देख कर के मुस्कुरा रहे थे हम,
खुदा क़सम फ़जा ने अपनी अदा बदल दिये।

जिन आंखों से पीते थे मयकदों में शराब हम,
वो आदतें ही ना बदलीं  मयकदा बदल दिये।

सारा शहर जिस महबूब की दीवानगी में था,
उस शहर का उसनें, अपना पता बदल दिये।
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-----राजेश कुमार 
गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)
दिनांक:-12/09/2024

©Rajesh Kumar #GoodMorning
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Rajesh Kumar

White  तूझको तूझमें खोज रहा हूं 
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तूझको तूझमें खोज रहा हूं तेरी ही तस्वीरों से।
मैंने  तूझे  चुरा  रखी है  यादों  की  जंजीरों से।
बीते पल क्या भरोसा कब आए कब जाएगा?
मैं लम्हों से उब रहा हूं, अपनी ही तकदीरों से।
मैंने तूझे चुरा रखी है....

तुम होती तो ऐसा होता तुम होती तो वैसा होता।
कस्ती मेरी डूब गई, तुम ना होती तो कैसा होता।
छोड़ो सारे ताने -बाने को और झूठी तारीफ़ों को,
मैंने तुमको सजा रखा है किस्मत की लकीरों से।
मैंने तूझे चुरा रखी है....

ज़ख़्म गहरे हैं दिल के मेरे पूछ रहे कैसे हो तुम?
जैसे पहले तुम्हें देखा था ठीक वही वैसे हो तुम।
 खुश्बू कहां गई  फूलों की जो पन्नों में सूख गए?
 कहां धूमिल हैं छवि तुम्हारी ताज़ी हैं ताबीरों से?
मैंने तूझे चुरा रखी है....
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---राजेश कुमार
गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)
दिनांक:-12/09/2024

©Rajesh Kumar #love_shayari
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