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rajeshkumar9001
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Rajesh Kumar

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Rajesh Kumar

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset अजीब रंग है...
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अजीब रंग है इंसानी बाजीगरी की,
वक्त पे सबको रंग बदलते देखा है।

कैसी फितरत है यहां पे शरीफ़ों के?
चंद सिक्कों पे जुबां बदलते देखा है।

किसे क्या गिला किसी मजबूरी का?
इश्क़ में मैंने अश्क निकलते देखा है।

जल रहा आदमी आदमी को देखके,
बातों-बातों खंजर निकलते देखा है।

छोड़ो फूल, कांटों से दोस्ती अच्छी,
फूलों को कांटों से सम्हलते देखा है।
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-----राजेश कुमार 
गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)
दिनांक:-04/01/2025

©Rajesh Kumar #SunSet
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Rajesh Kumar

नव उदय प्रकाशन द्वारा एक काव्य सम्मेलन मथुरा में....

©Rajesh Kumar
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Rajesh Kumar

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset ना मुझमें कोई खूबी,ना तूझमें कोई खामी
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इस नाज़ के अंदाज़ के पे कुर्बां है दिलोजान,
ना मुझमें कोई खूबी, ना तूझमें कोई खामी।

किस मय की तलाश में फिरता रहा ता-उम्र?
ना दिल में थी जगह और न तुमने भरी हामी।

किस गुरूर में फिज़ा, किस ठाठ में गुलशन?
न रंगत को भरोसा और न गुलज़ार को यकीं।

ना हम तुम्हें कुछ कहें और ना तुम कुछ कहो,
उम्मीद पे हो कायम, चाहे खूबी हो या खामी।

ये शोख़ सितमगर हैं तो सितम ढाएंगे अक्सर,
न गीतों ने इल्तिज़ा की,न ग़ज़लों ने भरी हामी।

ना रास्तों का पता और ना मंजिल की है ख़बर,
किस गुरूर पे थे हम,किस गुमां पे थी जवानी?

ख़ामोश तेरी निगाहों में, कोई शराब की मस्ती,
न दिल में कोई तूफां और न सागर में है रवानी।
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---राजेश कुमार 
गोरखपुर(उत्तर प्रदेश)
दिनांक:-03/01/2025

©Rajesh Kumar #SunSet
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Rajesh Kumar

green-leaves जिंदगी  चल कोई  ख्वाब नयी बुनते हैं।
जिन्होनें दगा  दिये उन्हें वफ़ा  चुनते हैं।
 रहगुज़र उम्मीद से कोई वास्ता ही क्या?
 दिल की आवाज़ फिर से नयी सुनते हैं।

---राजेश कुमार 
गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)
दिनांक:-02/01/20245

©Rajesh Kumar #GreenLeaves
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Rajesh Kumar

New Year 2025 नववर्ष की मंगलमय कामना तूझे खुशियां अनन्त अपार मिले।
फूलों के बगिया व आंगन महके जीवन का नया आधार मिले।
तारों की महफ़िल उमंग भरे और सपने भी तेरी नई उड़ान भरे,
हो प्रेम की वर्षा सुखद सदा और हर पल वो बसंत बहार मिले।

नववर्ष की मंगलमय कामना:------
राजेश कुमार 
गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)
दिनांक:-01/01/2025

©Rajesh Kumar #Newyear2025
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Rajesh Kumar

New Year 2024-25 बस एक रात की कहानी है 
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तू भी चला जाएगा बस एक रात की कहानी है।
थामेगा कल तेरा हाथ बस एक रात की कहानी है।
तू दे गया है आंसुओं को इस वक्त के सफ़र में,
कल होगा सुबह और बस एक रात की कहानी है।
सारे ग़म का हिसाब यहां पे अब रखता है कौन?
गुमनाम हो जाएगा तू बस एक रात की कहानी है।
ये वक्त है जो गुज़र के वक्त के दायरे में ही रहेगा,
एक रात की जिंदगी है बस एक रात की कहानी है।
जी लें हम समेट कर अपनी खुशियों को हम,
एक रात का किस्सा बस एक रात की कहानी है।
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---राजेश कुमार 
गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)
दिनांक:-31/12/2024

©Rajesh Kumar #NewYear2024-25
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Rajesh Kumar

New Year 2024-25 गुज़र गया ये साल
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खुशियों के इंतजार में गुज़र गया ये साल।
एक अजनबी के प्यार में गुज़र गया ये साल।
बस इसी उम्मीद में दुआ मांगते हैं लोग,
खूबियों के इंतजार में गुज़र गया ये साल।
मुसीबतों में निखरती है ये जिंदगी मेरे यारों,
ख्वाहिशों के तार तार में गुज़र गया ये साल।
शिकायतों व तारीफ़ों के दरमियां है जिंदगी,
ख़्वाबों के तरफदार में गुज़र गया ये साल।
कुछ ले गया,कुछ दे गया दुनिया के भीड़ में,
तोड़के दर ओ दीवार को गुज़र गया ये साल।
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---राजेश कुमार 
गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)
दिनांक:-31/12/2024

©Rajesh Kumar #NewYear2024-25
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Rajesh Kumar

राधा बनाम कान्हा 
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पहले मेरे कान्हा थे तुम अब द्वारिकाधीश बन गये।
कैसे तुम्हें कहूं कन्हैया तुम मथुरा के ईश बन गये?

मुरली हाथ,पीताम्बर तन पे मोर पंख सर पे होता।
अब चक्रसुदर्शन होते हाथ में व मुकुट सर पे होता।
अब सोने के हार गले में नौकर चाकर बीस बन गये।
पहले मेरे कान्हा थे...
पहले माखन चोर कहलाते अब राजा कहलाते हो।
पहले राधा प्राण प्रिये थी अब क्यूं आंख चुराते हो?
नहीं श्याम तू मेरा अब सिंहासन के कृष्ण बन गये।
पहले मेरे कान्हा थे...
यमुना तट पर रास रचाते और गोपियां नाचतीं थीं।
जब जब तेरी वंशी बजती तब आंखें भर आतीं थीं।
राधे कान्हा तेरा है, कैसे हम द्वारिकाधीश बन गये।
पहले भी तेरा कान्हा था मैं अब कैसे ईश बन गये?
""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""
---राजेश कुमार 
गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)
दिनांक:-30/12/2024

©Rajesh Kumar #newyearresolutions
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Rajesh Kumar

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Rajesh Kumar

मथुरा कवि सम्मेलन

©Rajesh Kumar
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