Nojoto: Largest Storytelling Platform

अभी तो मेरी कलम की स्याही में थी तुम । चली आई मेरे

अभी तो मेरी कलम की स्याही में थी तुम ।
चली आई मेरे जबां पर अल्फाज बनकर ।
मेरे ख्यालों के समुन्दर में उतार कर नाव अपनी।
शायरी को मेरे लबों से सुनने को चली आई हो तुम।
फिरती हो मेरे आसपास तुम सदा रुह बनके ।
बनके तितली मेरे मन को कितना लुभाती हो तुम।
मेरी सारी परेशानी खत्म हुआ करती है मिलकर
तुम से।
 कविता हो मेरी मुझसे मेल अक्सर खाती हो तुम।

,,,,,मेरी तरहा हो तुम,,,,

©Vickram
  और क्या कहूं ############₹₹₹₹₹₹₹₹₹₹₹₹
vickram4195

Vickram

Silver Star
New Creator

और क्या कहूं ############₹₹₹₹₹₹₹₹₹₹₹₹

383 Views