हे याज्ञिनी पांचाल सुता, तुझे दिल से मैंने माना था, राजा द्रुपद के राजदुलारी, यज्ञ ने तुझको जना था। सखा श्री कृष्ण के आज्ञा से, स्वयंवर में आया था, देखकर समस्त योद्धाओं को, मैं भी भरमाया था। मीन चक्षु पे निशाना था, असल में तुमको पाना था, आज स्वयंवर जीत पूर्ण हुआ, जो मेरा सपना था। हे पाण्डु पुत्र अर्जुन, आप सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर कहलाए, दिल तो घायल हो चुका, जब ब्राह्मण भेष में आए। मन ही मन में आपको चुनी, आपसे ही नेह लगाई, श्री कृष्ण के कृपा से ही आपको, पति रूप में पाई। हे आर्यपुत्र माँ की आज्ञा से, पाँचों पति हमें हैं प्यारे, मैं अनुगामिनी आपलोगों की, धन्य हैं भाग्य हमारे। तो आज संवाद लिखना है अर्जुन और द्रौपदी के बीच। Mandatory hashtag: #arjun_draupadi #arjun #mahabharat #draupadi #competitionsbymanavi #yqdidi #yqbaba #yqquotes Time limit till 10:00pm tonight... No word limit