" कुछ बताना है तुमको , कुछ जताना है तुमसे , रोज मैं इस खामोशि को रौंद देता हूं , इस ख्याल से चोट ना पहुंचे , खुद को कुछ ज्यादा खामोश कर बैठता हूं , इस ख्याल को तेरा नाम देना है , मैं अपनी पहचान भुल बैठा हूं . " --- रबिन्द्र राम मैं कोई अधूरी नज़्म हूं ❤️✍🏻 OPEN FOR COLLAB✨ #ATnightdiarybg • A Challenge by Aesthetic Thoughts! ♥️ 🤩 Check out our pinned post for our special paid story task. Complete the task before the deadline. Best post/s shall be featured tomorrow. 🏆 Share your random thoughts.✨