जिस शक्ति से अनगिनत दुश्मन खत्म हो सकते हैं, उस शक्ति का एक आज सिर्फ एक हिस्सा चाहिए। खौफ़, दरिन्दगी, लड़ाई, नफरत, चीख और धमाके, इन सबसे दिल भर चुके हैं लगभग सबके। कुछ आँखे आज तुम्हारी तरफ देख रही होगी, एक इंतज़ार में चेहरे पर आँसुओं की लकीरें लेकर उम्मीद ढूंढ रही होगी। कहीं बारुद का ढेर, कहीं राख और मलबे में घिरा हुआ शहर, हड्डी और मांस के टुकड़े भरे पड़े हैं, जहाँ हुआ करता था कोई घर। शान्ति बहाल के लिए अब तांडव की ज़रूरत है, तुम्हारे गले की माला के लिए कुछ नए सिरों की ज़रूरत है। ©Ananta Dasgupta #Durgapuja #day5 #devi #durga