मेरे टूटे हुए नगमों को तुम ग़ज़ल ना बना देना अश्कों के समंदर में प्यार का कमल ना खिला देना एक तकलीफ तो सह चुके हैं इश्क की दोबारा तुम इसे नासूर ना बना देना होती है चुभन हवा के हर हसीं झोखे के साथ तुम इसे और दर्द की वजह ना बना देना बड़ी मुश्किल से सीखा है अपने आप में जीना मैने, तुम इसे अपने पैरो पे खड़ा करके ना गिरा देना खो दिया है शिरा जो मैने मोहब्बत का दोबारा फिर तुम मुझे ना शिरा देना मेरे टूटे हुए नगमों को तुम ग़ज़ल ना बना देना अश्कों के समंदर में प्यार का कमल ना खिला देना ©aman sharma मेरे टूटे हुए नगमों को तुम ग़ज़ल ना बना देना अश्कों के समंदर में प्यार का कमल ना खिला देना एक तकलीफ तो सह चुके हैं इश्क की दोबारा तुम इसे नासूर ना बना देना होती है चुभन हवा के हर हसीं झोखे के साथ तुम इसे और दर्द की वजह ना बना देना बड़ी मुश्किल से सीखा है अपने आप में जीना मैने, तुम इसे अपने पैरो पे खड़ा करके ना गिरा देना खो दिया है शिरा जो मैने मोहब्बत का दोबारा फिर तुम मुझे ना शिरा देना