Nojoto: Largest Storytelling Platform

एक स्त्री की सोच मैं अकेले ही अच्छी थी। ना कोई बं

एक स्त्री की सोच

मैं अकेले ही अच्छी थी।
ना कोई बंदिश था ,
ना समाज का कोई बंदिश था।
मैं अकेले ही अच्छी थी।
वो घरों में चहचहाना,
मस्त आजाद पँछी बने रहना।
ना पैरों में बेड़िया थी,
ना सर पर शर्म की घूंघट थी।
मैं अकेले ही अच्छी थी। एक स्त्री की सोच

मैं अकेले ही अच्छी थी।
ना कोई बंदिश था ,
ना समाज का कोई बंदिश था।
मैं अकेले ही अच्छी थी।
वो घरों में चहचहाना,
मस्त आजाद पँछी बने रहना।
एक स्त्री की सोच

मैं अकेले ही अच्छी थी।
ना कोई बंदिश था ,
ना समाज का कोई बंदिश था।
मैं अकेले ही अच्छी थी।
वो घरों में चहचहाना,
मस्त आजाद पँछी बने रहना।
ना पैरों में बेड़िया थी,
ना सर पर शर्म की घूंघट थी।
मैं अकेले ही अच्छी थी। एक स्त्री की सोच

मैं अकेले ही अच्छी थी।
ना कोई बंदिश था ,
ना समाज का कोई बंदिश था।
मैं अकेले ही अच्छी थी।
वो घरों में चहचहाना,
मस्त आजाद पँछी बने रहना।

एक स्त्री की सोच मैं अकेले ही अच्छी थी। ना कोई बंदिश था , ना समाज का कोई बंदिश था। मैं अकेले ही अच्छी थी। वो घरों में चहचहाना, मस्त आजाद पँछी बने रहना। #विचार #सशक्तिकरण #स्त्रीशक्ति #स्त्रीएकवरदान