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वो रात भर बिस्तर में बदलते करवटों की आवाज, वो मेर

वो रात भर बिस्तर में बदलते करवटों की आवाज,

वो मेरा सोचना की क्यों हुआ ऐसा तेरा अंदाज,

वो मेरा रात भर जगना तुम्हारा रात भर सोना

ये कैसा प्यार है तेरा हुआ कैसा ये फिर हुआ आगाज़।

भले ही प्यार कम था भले ईमान भी ना था

मैं जैसा था तुम्हारा था कोई बेईमान तो ना था,

तुम्हारे प्यार की कसमें थी खाई प्यार के खातिर

मैं सच्चा फूल तो ही था कोई गुल्फाम तो ना था।

गुज़ारिश होश में की थी कोई धोखा तो ना दोगे,

किसी रंगीन महफ़िल की फिज़ा हमने ना मांगी थी,

था जज्बा प्यार का पकड़े दरिया उतरने का

किसी शायर के चिलमन शायरी हमने ना मांगी थी।

©Arjun
  #andaaz
arjun7672445341363

Arjun

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