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जो गुमा नहीं मिला नहीं ...वही तो खोज रही हूं.. अपन

जो गुमा नहीं मिला नहीं ...वही तो खोज रही हूं..
अपनी तन्हा राहों में... तुझे ही सोच रही हूं!

खुश हूं तुझे सोच कर... तेरी ओर रुख मोड़ रही हूं..
मिलने से रहा तू मुझे ...फकत आशू पोछ रही हूं!

ना उछले ना तैरे कभी ... उन लहरों की मौज रही हूं..
ना पूछे कोई ना बताऊं मैं ...दिल पर बोझ रही हूं!
limit

©Gudiya Gupta (kavyatri).....
  #fakat Ashu poch rahi hu..

#Fakat Ashu poch rahi hu.. #शायरी

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