सार """"" जिम्मेदारियाँ, भाग-दौड़, प्रतिस्पर्द्धा, एक-दूजे से आगे निकलने की होड़, पारिवारिक कर्त्तव्य और रिश्तों की मर्यादा के बीच पीसता कश्मकश में पड़ा यौवन, ऊँचाई की सीढ़ियां चढ़ता इतना ऊपर चला जाता है कि शायद ! थक जाता है..... इसीलिए शायद ढूंढता है शांति, नीरवता, अकेलापन दूर सबसे दूर बहुत दूर एकांत..... क्या यही जीवन का सार है ? क्या यही जीवन है ? ©Tarakeshwar Dubey सार #Mic