माता-पिता एक पिता ही है जो अपने वर्चस्व को संघर्ष में परिवर्तित करता है। एक मां ही है जो अपने अस्तित्व को पालन पोषण में परिवर्तित करती है। पिता लगा देता है अपनी इच्छाएं सारी दांव पर, करने को पूरी इच्छाएं अपनी संतान की मां लगा देती है दांव अपने स्वप्न करने को पूर्ण सभी स्वप्न अपनी संतान के पिता ने त्यागा है निज सुख संतान की शिक्षा के लिए, मां ने किया है वह कठिन कर्म जो आवश्यक हो संतान के विकास के लिए