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जानते हैं हम कि मेरा दिल तेरे दिल की चाहत नहीं है,

जानते हैं हम कि मेरा दिल तेरे दिल की चाहत नहीं है,
कैसे समझाएंँ इस दिल को ये कुछ समझता ही नहीं है।

खोया रहता है आज भी तेरे ही तसव्वुर में रात और दिन,
तेरी चाहत के सिवा मेरे दिल की कोई चाहत ही नहीं है।

हर घड़ी पलकें बिछाए तेरे लौट आने के इंतजार में रहते हैं,
जो चाहत तेरे लिए दिल में पहले थी आज भी बदली नहीं है। 📌नीचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏

💫Collab with रचना का सार..📖

🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों  को रचना का सार..📖 की प्रतियोगिता :- 192 में स्वागत करता है..🙏🙏

💫आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।
जानते हैं हम कि मेरा दिल तेरे दिल की चाहत नहीं है,
कैसे समझाएंँ इस दिल को ये कुछ समझता ही नहीं है।

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तेरी चाहत के सिवा मेरे दिल की कोई चाहत ही नहीं है।

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जो चाहत तेरे लिए दिल में पहले थी आज भी बदली नहीं है। 📌नीचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏

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