चलो एक आशियाना उनके लिए भी बनाएं,जो धूप,वर्षा,शीत खुले आसमां में बिताएँ! चलो दो शब्द उनके लिए भी गुनगुनाएं; जो मूक बधिर बनकर ध्वनियों से घबराएँ! चलो दो पाठ उन्हें भी पढ़ाएं;जो बिन ज्ञान जंगल में जीवन बिताएँ। चलो एक ऐसा समुदाय बनाएँ;जो बिन राग द्वेष के हमारा देश चलाएं! चलो एक ऐसा देश बनाएँ;जहाँ राम-राज्य पुनः हो जाए! राम राज्य पुनः हो जाए!