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चलो एक आशियाना उनके लिए भी बनाएं,जो धूप,वर्षा,शीत

चलो एक आशियाना उनके लिए भी बनाएं,जो धूप,वर्षा,शीत खुले आसमां में बिताएँ!
चलो दो शब्द उनके लिए भी गुनगुनाएं; जो मूक बधिर बनकर ध्वनियों से घबराएँ!
चलो दो पाठ उन्हें भी पढ़ाएं;जो बिन ज्ञान जंगल में जीवन बिताएँ।
चलो एक ऐसा समुदाय बनाएँ;जो बिन राग द्वेष के हमारा देश चलाएं!
चलो एक ऐसा देश बनाएँ;जहाँ राम-राज्य पुनः हो जाए! राम राज्य पुनः हो जाए!
चलो एक आशियाना उनके लिए भी बनाएं,जो धूप,वर्षा,शीत खुले आसमां में बिताएँ!
चलो दो शब्द उनके लिए भी गुनगुनाएं; जो मूक बधिर बनकर ध्वनियों से घबराएँ!
चलो दो पाठ उन्हें भी पढ़ाएं;जो बिन ज्ञान जंगल में जीवन बिताएँ।
चलो एक ऐसा समुदाय बनाएँ;जो बिन राग द्वेष के हमारा देश चलाएं!
चलो एक ऐसा देश बनाएँ;जहाँ राम-राज्य पुनः हो जाए! राम राज्य पुनः हो जाए!

राम राज्य पुनः हो जाए!