गैरों में मोहब्बत ढूंढते रहे हैं और खुद से दूर जाते रहे समझ ना सके की मोहब्बत कही और नही खुद में है, ना जाने ना समझ क्यो बनते रहे, दुसरो को खुश रखते-रखते खुद की खुशी से दूर होते रहे, आंसू बहे पर पानी समझ पोछते रहे, ना जाने ना समझ क्यो बनते रहे, अक्सर चोट लगती रही पर घाव समझ मलहम लगाते रहे, भूल गए थे कि ये वो चोट है जिसमे मलहम भी काम ना करे, ना जाने ना समझ क्यो बनते रहे और अक्सर गैरों में मोहब्बत ढूंढते रहे हैं #NojotoQuote ना जाने ना समझ क्यो बनते रहे।।