Bus में बैठा हर शख्स कोई पुराना अधूरा सपना फिर पूरा करने की उम्मीद में सो गया है मैं एक सपना जी रहा हूँ मैं अब भी जग रहा हूँ हर सवाल मेरा खुद से कर के हर जवाब तेरा खुद को दे रहा हूँ वक़्त बिताने के लिए मैं यूँ भी कर रहा हूँ आलम तो ये है कि पागलपन में मेरे तू बन कर खुद से ही बतला रहा हूँ मैं Bus चल पड़ी है आ रहा हूँ मैं # Bus चल पड़ी है आ रहा हूँ मैं #