तेरी यादों का ही ख़जाना है, मेरे पास। याद कर खुश हो जाता, कभी उदास। जितना चाहता हूं तुम को, तुम उतना तड़पाते हो। तरस जाता मिलने को, ना तुम मुखड़ा दिखाते हो। बताओ मुझे बताओ, क्यों इतना तुम सताती हो। ना आती हो खुद मिलने मुझको, ना मेरे सपनों में आती हो। मैंने चाहा तुझे, की इबादत तुम्हारी। किया मुझे बदनाम, बताओ क्यों प्यारी। किया अपराध मेरे दिल ने, जो तुम पे हो बेकाबू आया था। नहीं मालूम मुझे तुझे क्यों, मुखड़ा मेरा क्यों ना भाया था। ©Sarbjit sangrurvi तेरी यादों का ही ख़जाना है, मेरे पास। याद कर खुश हो जाता, कभी उदास। जितना चाहता हूं तुम को, तुम उतना तड़पाते हो। तरस जाता मिलने को,