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मेरी बेटी जब जब थककर आता हूं मैं घर पर, बेटी मेरी

मेरी बेटी

जब जब थककर आता हूं मैं घर पर,
बेटी मेरी मेरे लिए पानी ले आती हैं।
दूर भाग जाती हैं थकान मेरी सारी तब,
जब जब बेटी मेरे संग बतियाती है।

छोटी बड़ी गलती अगर हो जाए तो,
बनके मां वो मुझ पर चिल्लाती है।
बेटे हो चाहे कितने भी सुंदर,
पर घर को तो इक बेटी ही सजाती है।

सुन सुन उसकी बोली की मधुर धुन,
कोना कोना घर का गीत गुनगुनाती है।
हैं बेटी मेरी फुल फुलवारी की,
बन तुलसी सी घर आंगन महकाती है।

चलता हैं बेटे से घर केवल एक,
बेटी मेरी दो-दो घर को चलाती है।
हॅंस बतियाती हैं सबके संग वो,
नीर अकेले में छुप छुप के बहाती है।

समझ ना पाया मन उसका मैं अब तक,
बेटी अपनी ना जाने कैसे जीवन बिताती है।
मान सम्मान लिए बाप की वो आन लिए,
सज धज कर वो कांटों पे चल जाती है।

©RKant #meri_beti
#Dard_Bewajah
मेरी बेटी

जब जब थककर आता हूं मैं घर पर,
बेटी मेरी मेरे लिए पानी ले आती हैं।
दूर भाग जाती हैं थकान मेरी सारी तब,
जब जब बेटी मेरे संग बतियाती है।

छोटी बड़ी गलती अगर हो जाए तो,
बनके मां वो मुझ पर चिल्लाती है।
बेटे हो चाहे कितने भी सुंदर,
पर घर को तो इक बेटी ही सजाती है।

सुन सुन उसकी बोली की मधुर धुन,
कोना कोना घर का गीत गुनगुनाती है।
हैं बेटी मेरी फुल फुलवारी की,
बन तुलसी सी घर आंगन महकाती है।

चलता हैं बेटे से घर केवल एक,
बेटी मेरी दो-दो घर को चलाती है।
हॅंस बतियाती हैं सबके संग वो,
नीर अकेले में छुप छुप के बहाती है।

समझ ना पाया मन उसका मैं अब तक,
बेटी अपनी ना जाने कैसे जीवन बिताती है।
मान सम्मान लिए बाप की वो आन लिए,
सज धज कर वो कांटों पे चल जाती है।

©RKant #meri_beti
#Dard_Bewajah
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