लम्बे समय के बाद छुट्टी में घर आ रहा था मन हर्षित था अपनों से मिलने जा रहा था, पापा के लिए नेहरू कोट, माँ के लिए शाॅल बहन के लिए चूड़ियाँ, भाई के लिए रूमाल, दिल मे किसी का प्यार किसी के अरमान थे पत्नी के लिए ले रखे अनेकों साजो सामान थे, गाड़ी से उतरकर अपने सरहदें को लाँघकर अपने खेतों से गुजरा सभी सामानों को बाँधकर, गाँव के दहलीज़ पर देवी माँ का मंदिर आया जूते खोल श्रद्धा से मंदिर में अपना शीश झुकाया, फिर गाँव मे पहुँचा अपने गलियारे मैं जा रहा था लोगों की भीड़ बहुत जो मुझे भरमा रहा था, मैने सोंचा ये जो भीड़ मेरे दरवाजे पर बढ़ी है शायद मेरे ही स्वागत के लिए दरवाजे पर खड़ी है, दरवाजे पर पहुंचते ही मेरी सारी तंद्रा टूट गई चूड़ियाँ सहित सभी सामान हाँथ से मेरे छूट गई, भागती हुई बहना आई अंदर से मुझको तोड़ गई बोली भैया तेरे आस में माँ हम सबको छोड़ गई, घर की दहलीज पर खड़ा किंचित् मैं सोंच रहा था अपने भाग्य को मैं मन ही मन बहुत कोस रहा था, देश की दहलीज़ पर खड़ा अपने भाग्य पर इठलाता हूँ घर की दहलीज़ पर आज खुद को मैं अकेला पाता हूँ, 🙏⚘मधुकर⚘🙏 Challenge-67 #collabwithकोराकाग़ज़ दहलीज़ पर एक लघुकथा लिखिए, कैप्शन में लिखा हुआ मान्य नहीं होगा :) #दहलीज़ #कोराकाग़ज़ #anil_madhukar #yqdidi #yqbaba YourQuote Didi Best YQ Hindi Quotes Aरिफ़ Aल्व़ी #YourQuoteAndMine Collaborating with कोरा काग़ज़ ™️