मनुष्य में अपने विचारों और सभी जनों को अभिव्यक्त करने की पर्याप्त क्षमता होती है उपासना भी एक तरह की अभिव्यक्ति ही है इस दौरान हम मूर्ति पूजा करते हैं या फिर किसी पवित्र ग्रंथ या अपने अपराध देकर निष्ठा व्यक्त करते हैं इसके लिए हमें कभी शब्दों का प्रयोग करते हैं तो कभी मोहन भी रहते हैं प्रार्थना उपासना का मुख्य द्वार है उसके महान शक्ति यानी परंपरा का संबंध से है जोड़ने का प्रयास होता है यह शरीर मानव आणि की पुकार है इन सब के बीच यह जानना भी आवश्यक है कि हम जीवन यापन निधिपुर पूजा पाठ में संगठन रहते हुए भी मानवता की सेवा में भी मुक्त तो नहीं हो चुके ऐसे में हृदय में मानवता की भावना जगाने के लिए एक ही जैसा उचित गुरु का होना भी महत्व रखता है ऐसा गुरु जो हमें मानव कल्याण के लिए उपासना का मार्ग दिखाएं गुरु वहीं उपासना उधार मौके के समान होती है जो कभी अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाती ऐसा ना हो कि भौतिक सुखों को भोग थे हम उपासक का मूल मंत्र भी भूल जाएं अज्ञान से ज्ञान की ओर अग्रसर होना ही उपासना है यह भी सच है कि हिरदे में सत्यता के अभाव में उपासना नहीं हो सकती जितनी दूर खान पीन और चलना फिरना उतना ही आवश्यक उपासना को अपने जीवन का हिस्सा बनाना हमारे चारों और प्राकृतिक संपदा पेड़ पौधे वायु सूर्य और चंद्रमा का हमारे जीवन को नहीं रखने में कितना योगदान है उसकी अनुभूति ही उपासना है यदि मन में मानवता के प्रति सहनशीलता का अभाव है या आप सिर्फ नहीं तो सुख के लिए ही अपने इष्ट के आगे हाथ जोड़े यहां सिर झुकाते हैं तो इसके आप की उपासना पूर्ण नहीं हो सकेगी ©Ek villain #उपासना मानव जीवन में #selfhate