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Shivkumar

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BABAPATHAKPURIYA

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Mantra Mahima Neeraj Shukla

श्री रामचरितमानस की चौपाई का पाठ करने से अपराध क्षमा हो जाते हैं। Mantra Mahima Neeraj Shukl #अपराध #क्षमापन #मंत्र #साधना #पूजापाठ #उपासना #रामायण #चौपाई #नोजोटो #समाज

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Balwant Mehta

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Manojkumar Srivastava

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Divyanshu Pathak

जब अर्थ का अनर्थ कर दिया जाता है तो हमें ठीक होने वाली बात भी गलत मालूम पड़ती है।लेकिन स्वविवेक से यह ज़रूर चिंतन करना चाहिए कि सही क्या है?कुछ गलत मिल जाए तो उसे ठीक करने का प्रयास तो होना ही चाहिए।महाभारत में भी उपासना के बारे में ऐसा ही वर्णन है---- ऋषयो नित्यसंध्यत्वाद्दीर्घमायुरवाप्नुवन्। तस्मातिष्ठेत्सदा पूर्वां पश्चिमां चैव वाग्यतः।। ऋषियों ने सुबह और सांयकाल की उपासना कर दीर्घायु वाला जीवन प्राप्त किया।इसलिए हमें भी बैठकर सुबह और शाम को उपासना करनी चाहिए। महाभारत अनु. अध्याय 104 श् #yqdidi #yqhindi #परम्परा #yqsahitya #मनुस्मृति #पाठकपुराण

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हमारे पुरखों ने उपासना को अनिवार्य बताया।सूर्योदय से पूर्व और सूर्यास्त के बाद तारे निकलने तक इसका एक मात्र कारण लम्बी आयु और बेहतर स्वास्थ्य था।
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न तिष्ठति तु यः पूर्वां नोपासते यश्च पश्चिमाम्।
स शूद्रवद्बहिष्कार्य: सर्वस्माद् द्विजकर्मणः।।
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यदि तुम प्रातः और सांयकाल में उपासना नहीं करते हो तब तुम शूद्रता को प्राप्त हुए श्रेष्ठ कर्म से बहिष्कृत (विमुख) हो जाओगे।
(मनुस्मृति अध्याय -02 श्लोक - 103) जब अर्थ का अनर्थ कर दिया जाता है तो हमें ठीक होने वाली बात भी गलत मालूम पड़ती है।लेकिन स्वविवेक से यह ज़रूर चिंतन करना चाहिए कि सही क्या है?कुछ गलत मिल जाए तो उसे ठीक करने का प्रयास तो होना ही चाहिए।महाभारत में भी उपासना के बारे में ऐसा ही वर्णन है----

ऋषयो      नित्यसंध्यत्वाद्दीर्घमायुरवाप्नुवन्।
तस्मातिष्ठेत्सदा पूर्वां पश्चिमां चैव वाग्यतः।।

ऋषियों ने सुबह और सांयकाल की उपासना कर दीर्घायु वाला जीवन प्राप्त किया।इसलिए हमें भी बैठकर सुबह और शाम को उपासना करनी चाहिए।

महाभारत अनु. अध्याय 104 श्

Ek villain

#उपासना मानव जीवन में #selfhate #Society

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मनुष्य में अपने विचारों और सभी जनों को अभिव्यक्त करने की पर्याप्त क्षमता होती है उपासना भी एक तरह की अभिव्यक्ति ही है इस दौरान हम मूर्ति पूजा करते हैं या फिर किसी पवित्र ग्रंथ या अपने अपराध देकर निष्ठा व्यक्त करते हैं इसके लिए हमें कभी शब्दों का प्रयोग करते हैं तो कभी मोहन भी रहते हैं प्रार्थना उपासना का मुख्य द्वार है उसके महान शक्ति यानी परंपरा का संबंध से है जोड़ने का प्रयास होता है यह शरीर मानव आणि की पुकार है इन सब के बीच यह जानना भी आवश्यक है कि हम जीवन यापन निधिपुर पूजा पाठ में संगठन रहते हुए भी मानवता की सेवा में भी मुक्त तो नहीं हो चुके ऐसे में हृदय में मानवता की भावना जगाने के लिए एक ही जैसा उचित गुरु का होना भी महत्व रखता है ऐसा गुरु जो हमें मानव कल्याण के लिए उपासना का मार्ग दिखाएं गुरु वहीं उपासना उधार मौके के समान होती है जो कभी अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाती ऐसा ना हो कि भौतिक सुखों को भोग थे हम उपासक का मूल मंत्र भी भूल जाएं अज्ञान से ज्ञान की ओर अग्रसर होना ही उपासना है यह भी सच है कि हिरदे में सत्यता के अभाव में उपासना नहीं हो सकती जितनी दूर खान पीन और चलना फिरना उतना ही आवश्यक उपासना को अपने जीवन का हिस्सा बनाना हमारे चारों और प्राकृतिक संपदा पेड़ पौधे वायु सूर्य और चंद्रमा का हमारे जीवन को नहीं रखने में कितना योगदान है उसकी अनुभूति ही उपासना है यदि मन में मानवता के प्रति सहनशीलता का अभाव है या आप सिर्फ नहीं तो सुख के लिए ही अपने इष्ट के आगे हाथ जोड़े यहां सिर झुकाते हैं तो इसके आप की उपासना पूर्ण नहीं हो सकेगी

©Ek villain #उपासना मानव जीवन में

#selfhate

Ankur Mishra

उपासना करते हैं अराधना करते हैं 
माँ तुझे बारम्बार प्रणाम करते हैं

लिखने को शब्द लाए कहाँ से 
जो व्यक्त करें तुम्हें शब्दों में

लब खामोश जुबां मौन ही रखते हैं
तेरे आगे हम सब नतमस्तक हैं

व्याख्या करें क्या आपकी आपके त्याग की
आप खुद को भूल गए हमारा भविष्य बनाने में

©Ankur Mishra #उपासना

#worldpostday

वेदों की दिशा

।। ओ३म् ।।

मा नो हृणीथा अतिथिं वसुरग्निः पुरुप्रशस्त एषः । 
यः सुहोता स्वध्वरः ॥

पद पाठ
मा꣢ । नः꣣ । हृणीथाः । अ꣡ति꣢꣯थिम् । व꣡सुः꣢ । अ꣣ग्निः꣢ । पु꣣रुप्रशस्तः꣢ । पु꣣रु । प्रशस्तः꣢ । ए꣣षः꣢ । यः । सु꣣हो꣡ता꣢ । सु꣣ । हो꣡ता꣢꣯ । स्व꣣ध्वरः꣢ । सु꣣ । अध्वरः꣢ ॥

जैसे उत्तम प्रकार पूजा किया गया परमेश्वर पूजा करनेवाले को सद्गुण आदि की सम्पत्ति देकर उसका कल्याण करता है, वैसे ही भली-भाँति सत्कार किया गया अतिथि आशीर्वाद, सदुपदेश आदि देकर गृहस्थ का उपकार करता है। इसलिए परमेश्वर की उपासना में और अतिथि के सत्कार में कभी प्रमाद नहीं करना चाहिए ॥

Just as a well-worshiped God gives welfare to the worshiper by giving him the property of virtue etc., in the same way, the well-behaved guest blesses the householder by giving blessings, sodupadas etc.  Therefore, never worship God in worship and hospitality.

( सामवेद मंत्र ११० ) #सामवेद #वेद #आतिथ्य #अतिथि #परमेश्वर #उपासना


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