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जीवन का यह क्रम है और कर्म है की बचपन को भुलाना पड़

जीवन का यह क्रम है और कर्म है की बचपन को भुलाना पड़ता है आगे बढ़ना पड़ता है।लेकिन उसमें कितना कुछ पीछे छूट जाता है।
माता पिता,भाई बहन,गांव समाज वो भी क्यूँ बस कुछ पैसे कमाने के लिये।
फिर कभी वक़्त नही मिलता कभी कुछ और मजबूरी लेकिन वो पल नही मिलता की जब चाहो जबतक चाहो अपनों के पास वक़्त बिता सको।

जीवन का यह क्रम है और कर्म है की बचपन को भुलाना पड़ता है आगे बढ़ना पड़ता है।लेकिन उसमें कितना कुछ पीछे छूट जाता है। माता पिता,भाई बहन,गांव समाज वो भी क्यूँ बस कुछ पैसे कमाने के लिये। फिर कभी वक़्त नही मिलता कभी कुछ और मजबूरी लेकिन वो पल नही मिलता की जब चाहो जबतक चाहो अपनों के पास वक़्त बिता सको। #Poetry

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