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उम्र की रेखा ज्यों ज्यों छोटी होती गई जिंदगी मकसदो

उम्र की रेखा ज्यों ज्यों छोटी होती गई
जिंदगी मकसदों से विहीन होती गई
खामोशी की कीमत बढ़ती गई
बदलती वक्त की नजाकत  समझती गई
परायों में अपनेपन को तलाशती गई
पर आज तक जीने की वजह समझ में न आई
मौत को जो नाजायज दौलत समझती
उसी में ही आखिर अंतिम अपनेपन की खुशबू पाई
उसके आलिंगन में ही आखिर शुकुन तलाश पाई
✍💖 कमल भंसाली तलाश
उम्र की रेखा ज्यों ज्यों छोटी होती गई
जिंदगी मकसदों से विहीन होती गई
खामोशी की कीमत बढ़ती गई
बदलती वक्त की नजाकत  समझती गई
परायों में अपनेपन को तलाशती गई
पर आज तक जीने की वजह समझ में न आई
मौत को जो नाजायज दौलत समझती
उसी में ही आखिर अंतिम अपनेपन की खुशबू पाई
उसके आलिंगन में ही आखिर शुकुन तलाश पाई
✍💖 कमल भंसाली तलाश