बात जब रावण की होती तब संस्कारों से भर पुर छवि राम की नयनो में तैरती हालांकि न राम को देखा न ही रावण को फिर भी राम के प्रति श्रद्धा उपजती रावण के प्रति रोष जागता तब मन करता क्यों नहीं अपने अंदर ही मैं अपने अंदर ही छिपे राम और रावण ढूंढता पर असफल ही रहता क्योंकि अंदर बैठा मेरा रावण ही मुझे सिर्फ नजर आता राम का तो दर्शन ही नहीं होता 🌼 काश बाहरी रावण की जगह कोई मेरे अंदर का ही मार देता और मुझे "अपने राम" का अनुभव करा देता 🏵️जय श्री राम🏵️ ✍️कमल भंसाली जय श्री राम